चलिए…
जिंदगी का जश्न कुछ इस तरह मनाते हैं!
कुछ अच्छा याद रखते है, कुछ बुरा भूल जाते है!
Chaliye…
Zindagi Ka Jasn Kuch Ish Tarah Manate Hai,
Kuch Accha Yaad Rakhte Hai, Kuch Bura Bhool Jate Hai!
काव्य शास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।
व्यसनेन तु मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा॥
भावार्थः- बुद्धिमानों का समय काव्य, शास्त्र, हास-परिहास, संगीत, चर्चा एवं अन्य सार्थक कलाओं से आनंद प्राप्त करने में व्यतीत होता है। जबकि मूर्खों का समय व्यसन, नींद, परनिंदा, शंका और कलह में व्यतीत होता है।
यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रिया,
चित्ते वाचि क्रियायां च साधूनाम एकरूपता ।
भावार्थः- जैसा हमारा मन होता है, वैसी ही वाणी होती है। जैसी वाणी होती है, वैसा ही कार्य होता है। सज्जनों के मन, वाणी और कार्य में एकरूपता (समानता) होती है।
आपका दिवस शुभ, मंगलमय, आनंदित, प्रेम पूर्ण और प्रभुमय रहे
जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह।
धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह।।
भावार्थ :- रहीम जी कहते है जैसे पृथ्वी पर बारिश, गर्मी और सर्दी पड़ती है और पृथ्वी यह सहन करती है। ठीक उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने जीवन में सुख और दुःख सहन करना सीखना चाहिए।
रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रुत्वा चैव अनुवर्त्यताम्,
आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत्॥”
भावार्थः- “धर्म का सर्वस्व क्या है?? .. सुनें और सुनकर उस पर चलें। स्वयं को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरों के साथ नहीं करें।”
पित्रा प्रताडितः पुत्रः
शिष्योऽपि गुरुणा तथा,
सुवर्णं स्वर्णकारेण
भूषणमेव जायते।
भावार्थ :- पिता के द्वारा डांटा गया पुत्र, गुरु के द्वारा डांटा गया शिष्य तथा सुनार के द्वारा पीटा गया सोना। ये सब आभूषण ही बनते हैं।
Read Life Quotes and Thoughts in Hindi Status for Facebook, and Whatsapp