याद है…
वो बचपन की अमीरी,
न जाने अब कहां खो गई…
वो दिन ही कुछ और थे,
जब बारिश के पानी में हमारे भी
जहाज चला करते थे…
Yaad Hai,
Wo Bachpan Ki Amiri,
Na Jane Ab Kahan Kho Gai…
Wo Din He Kuch Aur They,
Jab Barish Ke Pani Main Hamare Bhi,
Jahaz Chala Karte They…. 🙁
कैसा वो बचपना था;🐰 मानो, सपना एक सुहाना था..🍃
रंग बिरंगी डाक टिकट, मैं कितने लगन से इकट्ठा करता।
एक कापी में सारे चिपकाता;📙 उन्हें रोज ख़ूब निहारता।
इंग्लैंड, फिर न्यूजीलैंड;🇬🇧 धरती का स्वर्ग, स्विट्जरलैंड..
पोलैंड व कोरिया;🇧🇯 मलेशिया होकर लैंड करता रशिया;
अफ्रिका से अमरीका, बैठे बैठे दुनिया के चक्कर लगाता।
फिर ‘तू’ मिली, मेरी ‘दुनिया’ बनी। तुझमें खुद को पाया..
📙’कापी’ वो भूला; तुझ संग ख़्वाबों की नगरी घूम आया।
..बीती यादों का अल्बम आज देखा,💘 दिल ये भर आया।
बचपन कब का खोया; बच्चा बन मैं सिसक कर रोया..
चार दीवारों में सिमटे, अपने धुँधले आसमान से लिपटकर;
एक ‘बालक’ नम आँखों से,🗿 रात फिर अकेला सोया।