वो हाथ किस काम के…
जो प्रार्थना के समय भगवान
की ओर उठाये जाते हैं !!
और किसी की मदद के समय,
बगल में छिपा लिए जाते हैं!!
Wo Hath Kis Kaam Ke,
Jo Prarthna Ke Samay
” Bhagwaan”
Ki Ooor Uthaye Jate Hai…!!
Aur
Kisi Ki Madad Ke Samay,
Bagal Main Chipa Liye Jate Hai…!!
मेरे मालिक मुझे ऐसा हुनर दे दे,
मेरी तहरीर में अर्शी असर दे दे।
सँवर जाएगी क़िस्मत हम ग़रीबों की,
मेरे मौला इनायत तू अगर दे दे।
नहीं कुछ सूझता हमको कहाँ जाएँ,
मेरे अल्लाह हमें अब चारागर दे दे।
बड़े बेफ़िक्र हैं हम सब फ़राइज़ से,
तू मज़लूमों की हर दिल को फ़िकर दे दे।
मैं लिक्खूँ इक ग़ज़ल हर दिल बदल जाए,
मुझे या रब कोई ऐसा बहर दे दे।
प्रार्थना क्या हैं?
मेहनत के बाद भी शायद किस्मत में जो नहीं लिखीं हुई हों
उन हसरतों को पाने का जरिया है प्रार्थना।
किसी कीड़े को सड़क पर से हटा देती हूँ,
किसी चिड़िया को चंद दुनके खिला देती हूँ,
क्या ज़रूरी है नमाज़ों में मैं मशग़ूल रहूँ,
चलो एक डूबती चींटी को बचा लेती हूँ।
मेरी लुटया में तो पानी वज़ू का है लेकिन,
क्या ग़लत है किसी प्यासे को पिला देती हूँ।
छोड़िए फूल को दरगाह पे नहीं डालूँगी,
मैं इसे शाख़ पे सजने की दुआ देती हूँ।
मेरे घर में कोई क़ुरआन नहीं रक्खा है,
आज इक नातवाँ बच्चे को पढ़ा देती हूँ।
यह अलग बात है सब हज को चले जाएंगे,
मैं मगर राह के पत्थर को हटा देती हूँ।
मेरे दिल को तो दुरूदों से सुकूँ आया नहीं,
आज चलकर किसी बुढ़िया की दुआ लेती हूँ।