ठोकरें खाता हूँ पर ‘शान’ से चलता हूँ,
मैं खुले आसमान के नीचे सीना तान के चलता हूँ!
मुष्किलें तो ‘साज़’ हैं जिंदगी का
उठूंगा गिरूंगा फिर उठूंगा
और आखिर में… जीतूंगा मैं ही ये ठान के चलता हूँ….
Thokar Khata Hun Par Shaan Se Chalta Hun,
Me Khule Aasman Ke Niche Seena Taan Ke Chalta Hun,
Muskilein To Saaj Hai Zindagi Ka,
Uthuga, Giruga Phir Uthuga Aur…
Akhir Mein Jeetuga Main Hi Ye Than Ke Chalta Hun!