किसी की मदद करने के लिये इतना सोच विचार
रेस्टोरेंट का बिल भरने में क्यू नहीं करते सोच विचार।
जो ठंड में ठिठुर के मर गया वो भी तो था एक इंसान।
समूची बच गई यादें तोड़ लिया,
एक ही खिलौना था फोड़ लिया,
मां तेरे पास तो आसमान था
जाड़ा लगा तो कफ़न ओढ़ लिया..
इन सर्दियों की क्या मज़ाल हैं,
जब तक मैं और मेरी चाय साथ हैं….!!!
लगता है जैसे यह कल की बात है,
बाहर देखा तो पता चला अभी रात है ।
मौसम देखा कुछ समझ ना पाए,
बाद में पता चला यह तो ठंड की बरसात है।।
जब कभी ठंड पहाड़ों से उतर आती है,
यह हक़ीक़त है ग़रीबों के ही घर जाती है।
गर्म कपड़े तो नहीं कोहरे की चादर ओढ़े,
मुफ़लिसी ज़ेरे फलक चैन से सो जाती है।
कोई किसी की मदद के लिये कदम नही बढ़ाता।
सब खामोश हैं, लगता है इंसानियत को भी ठंड़ लग गई है।
मोहब्बत का क्या हैं, ज़नाब
मोहब्बत तो वहीं रहती हैं।
बस जरूरत के हिसाब से
अक्सर चीजें बदल जाती हैं।।
अब यहीं देख लो..
गर्मियों में जो मोहब्बत पंखे से थी,
वो आज रजाई से हो गई हैं।।
सर्द रात ⛺और ढेर सारे किताबें📚,,
गरम रजाइ और माँ कि हाथ कि गरम काँफ़ि☕,,
इतना काफी है जीने के लिए🌷।।।।😊
ठंडी हवाएं, हमको जमाए,
कोई तो बताए,
रूठे हुए सूरज को कैसे मनाए।
साहेब सर्दी आ चुकी है आप खुद पर GST लगाने के लिये तैयार रहें।
G – जर्सी
S – स्वेटर
T – टोपा
Happy winter season to everyone.
क्यों मुझे देख कर तेरे दिल ❤️
से निकलती हैं यूं ठंडी सी आहें ..
सर्दी का मौसम है रात के साथ दिन
में भी चल रही हैं ठंडी हवाएं !!
सर्दियों की लम्बी रात मे,
चाँद जो ठिठुर गया ,
इन बादलों मे कहीं,
आज फिर वो बिख़र गया..
“कड़ाके की ठंड”
शहरी : मालिक हम सबको सता रहा है!
ग्रामीण : मालिक हम सबके लिए गेंहू पका रहा है!!
तेरी यादों की रजाई ओढ के
तेरे गरम ख्वाबो को देख के
ये ठण्डी राते भी सुकून दे जातीं हैं….