तन्हा रहना तो सीख लिया,
पर खुश ना कभी रह पायेंगे,
तेरी दूरी तो सह लेता दिल मेरा,
पर तेरे प्यार के बिन ना जी पायेंगे…
Tanha Rahna To Sikh Liya,
Par Khush Na Kabhi Rah Payenge,
Teri Doori To Sah Leta Dil Mera,
Par Tere Pyar Ke Bin Na Jee Payege..
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे,
क्यूँ तन्हा से हो गए हैं तेरे जाने के बाद।
हालात खराब हो तो अपने ही,
गैरो के जैसा बर्ताव करने लगते है !
मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है..!!
बर्बाद बस्तियों में तुम किसे ढूंढते हो,
उजड़े हुए लोगों के ठिकाने नहीं होते.!!!
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,
हजारो लोग है मगर कोई उस जैसा नहीं है!
अकेलेपन का दर्द भी अजीब होता है,
दर्द तो होता है लेकिन दर्द के
आँसू आँखों से बाहर नहीं आते।
कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम,
तुम्हारे बगैर अगर तुम देख लेते तो,
कभी तन्हा न छोड़ते मुझे !
तन्हाई रही साथ ता-जिंदगी मेरे,
शिकवा नहीं कि कोई साथ न रहा..!
अगर वो सख्श एक बार मेरा हो जाता,
मैं दुनियां की किताबो से
हर्फ-ए-बेवफाई मिटा देता..!
आज इतना तनहा महसूस किया खुद को,
जैसे लोग दफना कर चले गए हो!
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