….!! उत्तम विचार !!….. प्रभु न दंड देते है, प्रभु न माफ करते है, वह तो कर्म-फल के तराजू है… जो बस इंसाफ करते है सुख-दुख का बटन तेरे हाथ में है बन्दे, तुम उसे खुद ही ऑन करते हो और ऑफ करते हो ईश्चर के न्याय की चक्की धीमी जरूर चलती है पर पीसती…
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मुस्कान हृदय की मधुरता की तरफ!!
मुस्कान हृदय की मधुरता की तरफ इशारा करती है, और शांति बुद्धि की परिपक्वता की तरु इशारा करती है और दोनों का ही होना एक मनुष्य की संपूर्णता होने का इशारा करते हैं… Muskaan Hirdaye Ki Madhurta Ki Taraf Ishara Karti Hai, Aur Shanti Buddhi Ki Paripaquwta Ki Taraf Ishara Karti Hai Aur Dono Ka…
इंसान की नीयत और नजरें बदल जाती है!!
समय… दूसरे की मदद करने का किसी के पास नहीं है। पर दूसरे के काम में अड़गें डालने का सबके पास है… इतनी जल्दी दुनिया की कोई चीज़ नहीं बदलती… जितनी जल्दी इंसान की नीयत और नजरें बदल जाती है। Samay Dusron Ki Madad Karne Ka Kisi Ke Pass Nahi Hai… Par Dusron Ke Kaam…
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं!!
उत्तम विचार जो इंसान अच्छे विचार और अच्छे संस्कारो को पकड़ लेता है फिर उसे हाथ में माला पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ती अकाल हो अगर अनाज का तब मानव मरता है किन्तु अकाल हो अगर संस्कारों का तो मानवता मरती है संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं और र्इमानदारी से बड़ी को विरासत नहीं।…
आपका असली मुकाबला !!
आपका असली मुकाबला केवल अपने आप से है, अगर आप आज खुद को बीते कल से बेहतर पाते हैं, तो यह आपकी बड़ी जीत है! Aapka Asli Muqabla Kewal Apne Aap Se Hai, Agar Aap Aaj Khud Ko Beete Kal Se, Behtar Pate Hain, To Yah Aapki Badi Jeet Hai! भगवान की नजर में वो…
मनुष्य को उसके कर्म ही दण्डित करते है!!
उत्तम विचार मनुष्य को उसके कर्म ही दण्डित करते है और उसके कर्म ही उसे पुरस्कृत करते है, मनुष्य व्यर्थ ही ईश्वर को अपने दुखों का दोषी ठहराता है। व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मो का फल खुद ही भुगतता है। Uttam Vichar Manushya…