दोहा:- कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर! ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर!! अर्थ:- इस संसार में आकर कबीर अपने जीवन में बस यही चाहते हैं, कि सबका भला हो और संसार में यदि किसी से दोस्ती नहीं तो दुश्मनी भी न हो! Doha:- Kabira Khada Bazar Mein, Mange Sabki Khair Na…
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दोस पराए देखि करि!!
दोहा:- दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त, अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत!! अर्थ:- यह मनुष्य का स्वभाव है कि जब वह दूसरों के दोष देखकर हंसता है, तब उसे अपने दोष याद नहीं आते जिनका न आदि है न अंत! Doha:- Dosh Paraye Dekhi Kari, Chala Hasant Hasant, Apne Yaad Na…
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय! दोहा अर्थ सहित
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय । ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ।। Pothi Padh Padh Jag Mua Pandit Bhaya Na Koi ! Dhai Aakhar Prem Ke, Jo Padhe so Pandit Hoye !! अर्थात्ः- बड़ी बड़ी किताबे पढ़कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुंच गए, पर…