दूसरों को उतना ही
शीघ्र क्षमा कर देना चाहिए,
जितना शीघ्र
हम भगवान से क्षमा चाहते हैं।
Dusron Ko Utna He
Jaldi Chhama Kar Dena Chahiye,
Jitni Jaldi Hum Bhagwan Se Chhama Chahte Hain!
क्षमा ~
‘क्ष’
क्षय हुई हो आपकी किसी से जाने-अनजाने!
‘मा’
माफ सदैव करना हृदय हमारा प्रेम हीं पहचाने!
Chhama,
Chha… Chhaye Hui Ho Aapki Kisi Se Jaane Anjane,
Maa… Maaf Sadaiv Karna Hirdaye Hamra Prem He Pehchane!
आदत नहीं है मेरी
मूर्खतापूर्ण वार्ता में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की।
क्षमा कीजिएगा… मेरी सोचने की क्षमता
आपकी समझने की क्षमता से तनिक ऊपर है।
बदले की भावना से शत्रुता और
क्षमा से प्रेम में वृध्दि होती है,
अतः हमें हमेशा क्षमाशील ही बने रहना चाहिये
यह मनुष्य और मनुष्यता की पहचान है।
Badle Ki Bhavna Se Satruta Aur
Chhama Se Prem Mein Viriddhi Hoti Hai,
Atah: Hamein Hamesh Chhamasheel He Bane Rahna Chahiye,
Yah Manushya Aur Manushyata Ki Pehchan Hai!