शख्स बनकर नहीं बल्कि
शख्सियत बनकर जियो
क्योंकि शख्स तो एक दिन मर जाता है
पर शख्सियत हमेशा जिंदा रहती है!
Shakhs Bankar Nahi,
Balki Shakhsiyat Bankar Jiyo.
Kyoki Shaks To Ek Din Mar Jata Hai,
Par Shakhsiyat Hamesha Zinda Rahti Hai!
हर जगह इत्र ही नहीं महका करते,
कभी-कभी शख्सियत भी खुशबू दे जाती है!
शख्स बनने में नौ महीने लगते हैं,
शख्सियत बनाने में एक उम्र लग जाती है!
निकले हैं वो लोग मेरी शख्सियत बिगाड़ने,
किरदान जिनके खुद की मरम्मत मांग रहे हैं!
शख्स को तो झुका लोगे,
शख्सियत से कैसे लड़ोगे!
खामोशी छुपाती है ऐब और हुनर दोनों,
शख्सियत का अंदाजा गुफ्तगू से होता है!
किताबों सी शख्सियत दे दे मेरे मालिक,
खामोश भी रहूँ और सब कुछ बयां कर दूँ!
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