शब्द मुफ्त में मिलते हैं
उनके चयन पर निर्भर करता है!
कि
उनकी कीमत मिलेगी या चुकानी पड़ेगी!
Sabda Muft Mein Milte Hain,
Unke Chayan Par Nirbhar Karta Hai
Ki Unki Kimat Milegi Ya Chukani Padegi…
शब्द ही जीवन को अर्थ दे जाते हैं,
और शब्द ही जीवन में अनर्थ कर जाते हैं!
वक्त से पहले बोले गए शब्द
और मौसम से पहले तोड़े गए फल
दोनों ही व्यर्थ हैं!
कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या शत्रु बनकर संसार में नहीं आता,
हमारा व्यवहार और शब्द ही लोगों को
मित्र और शत्रु बनाता है!
कुछ शब्द ही तो थे,
जिनसे जाना था
तुने मुझे और मैंने तुझे!
अकड़
इस शब्द मं कोई मात्रा नहीं है,
लेकिन फिर भी अलग-अलग मात्रा में
सबके पास है!