रोज-रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ!
ऐ मुश्किलों, देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ!
Roz Roz Girkar Bhi Mukammal Khada Hun,
Aye Mushkilon… Dekho Mein Tumse Kitna Bada Hun
इंसान की परेशानियों की केवल दो ही वजह हैं,
वह तक़दीर से ज्यादा चाहता है,
और समय से पहले चाहता है!
माना कठिनाई आने से आदमी अकेला हो जाता है,
लेकिन कठिनाई आने पर ही अकेला व्याक्ति
मज़बूत होना सीख जाता है!
हर व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है,
कुछ लोग परेशानियों से बिखर जाते हैं
और कुछ लोग निखर जाते हैं!
जीवन में परेशानियाँ चाहे जितनी भी हों,
चिंता करने से और बड़ी हो जाती है,
खामोश होने से काफी कम हो जाती हैं,
सब्र करने से खत्म हो जाती हैं,
और परमात्मा का शुक्र करने से
खुशियों में बदल जाती हैं।