“पापा तुम कितने अच्छे हो
किन शब्दों में करूँ तुम्हारा
धन्यवाद
शब्द नहीं मिल रहे मुझे
शब्दों में है वाद विवाद ”
आज जो मैंने सीखा है, जीवन से
वह है तुम्हारा आशीर्वाद
चाहे मैं कितने,
सुन्दर शब्दों को चुन लू II
न कर पाउगी,
तुम्हारा धन्यवाद
पापा तुम कितने अच्छे हो II
सच कहते थे तुम पापा,
तुम आत्मविश्वास रखो
दूसरों से क्यों अपनी तुलना करना
खुद कुछ ऐसे कर्म करो
तुम में भी कुछ खास है, बेटा
खुद पर तुम विश्वास करो II
तुम कितने सच्चे हो
पापा तुम कितने अच्छे हो
पापा तुम जीवन के वो आधार स्तम्भ हो
जो अपना कीमती समय
कर्म को देकर ,
जीवन को सम्पन बनाते हो
जब हम घर पर बैठ, आनंद लेते हैं
तुम कड़ी धुप में, पैदल चल कर आते हो
मैंने देखा है तुमको,
तुम हर हिसाब में पक्के हो
थोड़े से कठोर हो तुम
पर तुम दिल बहोत सच्चे हो
बस यही कहूँगी आखिर में
“पापा तुम बहोत अच्छे हो “
– कवयित्री –
रेणुका कपूर, दिल्ली