कलम क्यों थमी है
शब्दों की कमी है
पढ़ लो मेरा चेहरा
आँखों में नमी है!
Kalam Kyo Thami Hai,
Sabdon Ki Kami Hai,
Padh Lo Mera Chehra,
Ankho Mein Nami Hai!
हक़ीक़त बता गया उसका चेहरा
दिल रखने को वो कुछ और कहता रहा
उससे मुझे होना क्या था हासिल
खैर, उसके दावों से दिल बहलता रहा
चेहरे की शिकन में इन्कार ही था
यूँहीं साथ निभाने का दम भरता रहा
उसकी शख्सियत से जो वाकिफ़ था
वो गलत बताता, मैं सही समझता रहा
उस मासूमियत का भी कायल हूँ
नुमायां थी मक्कारी, वो मुकरता रहा
पहचान लेता इक नज़र में ,’राज’,
हर दफ़े, वो कम्बख़्त चेहरा बदलता रहा!!
पहले मुहब्बत अंधी थी
मगर अब उसने अपनी आँखों का इलाज करवा लिया है,
अब वो दौलत-शौहरत और चेहरा देख के होती है.!
आँख से आँसू न गिरे, तो कविता कैसी
चेहरे पे मुस्कान न आये, तो कविता कैसी!
आँसूओं की जान यूँ छूटी है,
चेहरे की हँसी जब से रूठी है !!
हर क्षण….हर लम्हात में…!
वो नज़र आये…हर बात में
जैसे कब्ज़ा हो उनका…!!
मेरे दिन मे…..मेरे रात मे….!!
एक पेहरा…हाँ तुम्हारा चेहरा…!!
मुझे संभालती है….!
हर मुश्किल हर हालात में…..!!
कई मुखौटे बनवा लिए हैं मैंने
कर सकता हूँ सामना अब दुनिया का
बस एक चेहरे की तलाश है
जिससे कर सकूँ खुद का सामना!!
सच नहीं वो जो दिखाई देता है,
हर चेहरे में है छिपा हुआ चेहरा,
दिलफरेबों की बस्ती में यहाँ,
आईना भी खुद से सवाल करता है !
बड़ी हिम्मत है तुम में
जो आईना खरीद लाये
कैसे देख पाओगे
अपना असली चेहरा?
Badi Himmat Hai Tum Mein,
Jo Aaina Khareed Laye!!
Kaise Dekh Paoge Apna Asli Chehra!!