हमें ईश्वर से नहीं,
अपने आप से डरना चाहिए!!
क्योंकि पाप हम करते हैं, ईश्वर नहीं
Humein Ishwar Se Nahi,
Apne Aap Se Darna Chahiye,
Kyunki,
PAAP Hum Karte Hain, Ishwar Nahi!!
पाप धुलकर भी पाप ही रहता है,
पुण्य मैला होकर भी पुण्य ही रहता है।
आत्मा के लिए जीए, वह पुण्य है और
संसार के लिए, जीए तो निरा पाप है!
जब तक मन में खोट और दिल में पाप है,
तब तक बेकार सारे मंत्र और जाप है!
पाप एक ऐसा प्रोडक्ट है तो खरीदने में
सस्ता है लेकिन उसका दाम चुकाने में
जन्मों जन्म लग जाते हैं।
गलत का साथ देने वाला उतना ही
पाप का भागीदार बनता है,
जितना की गलती करने वाला
क्योंकि उसका गलत साथ अक्सर कई
जिंदगियों को उजाड़ देता है!
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