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पूर्णमाशी का चाँद,
चाँद से उसकी चांदनी बोली,
खुशियों से भरे आपकी झोली,
मुबारक हो आपको यह प्यारी होली
होली मुबारक हो!
Purnamashi Ka Chand,
Chand Se Uski Chandni Boli,
Khushiyon Se Bhare Aapki Jholi,
Mubarak Ho Aapko Yah Pyari Holi
**Happy Holi**
प्यार के रंगों से भरो पिचकारी,
स्नेह के रंगों से रंग दो दुनिया सारी
ये रंग न जाने न कोई जात न बोली,
सबको हो मुबारक ये हैप्पी होली!
राधा का रंग और कान्हा की पिचकारी ,
प्यार के रंग से रंग दो दुनिया सारी ,
ये रंग न जाने कोई जात न कोई बोली
मुबारक हो आपको रंग भरी होली !!
वो गुलाल की ठंडक;
वो शाम की रोनक;
वो लोगों का गाना;
वो गलियों का चमकना;
वो दिन में मस्ती;
वो रंगों की धूम;
होली आगई है होली है होली की शुभकामनाएं
रंग इश्क़ का ऐसा भी था
जिसमे कोई इश्क़यारी न थी
खेल गया वो होली ऐसी
जिसमे कोई इश्क़ की रंगाई न थी
ज़माने के लिए तो कुछ दिन बाद होली है..!!
लेकिन मुझे तो रोज़ रंग देती है यादें तेरी..!!
होली आ रही है
यहां हर वो शख्स मिलेंगे,जो पल पल रंग बदलते हैं…!
रंग जरा संभल के लगाना, इससे मेरे चेहरे जलते हैं…!!
मैंने भी यूं पलट कर जवाब दिया…….
मेरे एक दिन रंग लगाने से आपके चेहरे जलते हैं…!
आप जो साल भर रंग बदलते हैं,लोगो के तो कलेजे जलते हैं…!!
फागुन बयार अलहड़पन का,
याद दिलायें होली बचपन का,
होलीका दहन भी इकठे जलाते,
होली के दिन सबके घर जाते,
साथ चले सब दोस्तो की टोली,
हमारी भाभीयाँ भी बोले ओंछी बोली,
मिठाई नमकीन संग दही-बड़े हैं खाते,
अबीर-गुलाल संग रंग लगाते,
भांग की लस्सी तो कहीं भांग का गोला,
एक स्वर में बोलो जय भोला-जय भोला…..
रंग रंग में रंग जमाते
ये सरसो के फूल…
संग रंग में घुल मिल जाते
ये सरसो के फूल…
भ्रमित भ्रमर भी आखिर
बैठे तो किस डाली पर,
हर कलियों की याद दिलाते
ये सरसो के फूल…
खेतों की पहचान बताते
ये सरसो के फूल…
अपनेपन का प्यार जताते
ये सरसो के फूल…
जैसे सारी तितलियां
आ बैठी हों महफिल में,
मेरी कविता में आते जाते
ये सरसो के फूल…🙂💓
बजे डंफ मंजीरा ढोली रे, शुभ होली!!
एक ओर, पिय पक्ष सखा के, एक ओर सखि भोली रे, शुभ होली!!
प्रथम गुलाल, उमा-शिव पग तौं, तब गुरुजन पग रोली रे, शुभ होली!!
प्यारी-पिया तब, खेली परस्पर, अंग-सङ्ग केसर-घोली रे, शुभ होली!!
निकली पड़ी, अब कुँज गली मैं, रसिक प्रिया-पिय टोली रे, शुभ होली!!
धमकि-पकड़ी, रँग लगत, झटकी कै, चूनर-पटुका बोरी रे, शुभ होली!!
हारत ना सखि, पिय नहीं जीते, बझि गयो ताल, झंकोरी रे, शुभ होली!!
सभ अलमस्त लगै प्रभु कंठन, जुगल पिया हमजोली रे, शुभ होली!!
नर्तन करत, मधुर पिय शोभैं, पग तल रँगत रंगोली रे, शुभ होली!!
नभ ते जयधुनि, हो रघुनंदन, जय जय राजकिशोरी कै, शुभ होली!!
ललकि ‘चन्द्रिका’, लिपटि लला सों, ललकि अलिं सभ,लिपटि लला सों,
यहि प्रियतम मन मोली रे, शुभ होली!!
सुन पलाश,
अब कि होली में
कुछ रंग ऐसे देना,
तन से रंग छूट जाए,
हिय से ना जाने पाए…
सुन पलाश,
रंग मेरे कान्हा का,
सबसे है रंगीला,
जो लागे उसके तन को,
फ़िर कहीं ना लग पाए..