जाते ही शमशान में,
मिट गई सब लकीर…
पास-पास जल रहे थे,
राजा और फकीर…
Jate he Samsaan Mein,
Mit Gai Sab Lakeerein,
Pass-Pass Jal Rahe They,
Raja Aur Faqir…
मृत्यु का अर्थ प्रकाश का बुझ जाना नहीं है,
इसका अर्थ केवल दिए का बुझना है,
क्योंकि सवेरा होने वाला है…
रबींद्रनाथ टैगोर
Mritu Ka Aarth Prkash Ka Bujh Jana Nahi Hai,
Iska Aarth Kewal Diye Ka Bujhna Hai,
Kyoki Sawera Hone Wala Hai..
मुट्ठी बांधे आया था
हाथ पसारे जायेगा
क्या लेकर तू आया था
क्या लेकर तू जाएगा