Get Happy Makar Sankranti Wishes Messages in Hindi for Girlfriend, Boyfriend, Lovers, Husband, Wife, Friends and Family Members, Free Download Makar Sankranti HD Wallpaper, Images & Pictures for Facebook, Instagram and Whatsapp Status Update.
तू डोरी बन, मैं पतंग बन जाऊ।
लेके चाहत इश्क़ के बादलों को पार कर जाने की।।💘।।
पतंगों वाले आसमान न जाने अब कहाँ विलुप्त हैं,
त्यहारों की खुशबू न जाने कहाँ गुम है,
तिल-गुड़ की मिठाई कहाँ अब लोग खाते हैं,
मकर संक्रान्ति जैसे त्यहार बस नाम के लिए आते हैं।
!!! HAPPY MAKAR SANKRANTI !!!
At the age of 05
he learnt the art of flying kites in the sky.
At the age of 25
he became a ‘Pilot’ and learnt
how to fly Airplanes in the sky.
Our thoughts are like kites and our minds are like the strings…
Sometimes you have to loose your mind and let the thoughts soar high!
And sometimes, you need to tug your mind to control the thoughts…!
देख पतंगो का दौर ,यादो के पर लग गये।
उडी पतंग नील गगन मे और पेच लड गये।।
पेच लडते लडाते इक हसीं से नैन लड गये।
एकाएक चली पुरवा, और खेल बदल गये ।।
जहाँ करनी थी खींच ,बस वही ढील दे गये।
दिल लगा ना दिलबर मिला, और पेच कट गये ।।
नजर हटी तो जरा सी, कटी पतंग हो गये।
उडान के लिये बने थे, आज आसमां के हो गये।।
अच्छा सुनो….
दिल तुम बन जाओ..
तो धड़कन मैं बन जाऊं..
अच्छा सुनो …
तिल तुम बनों,
तो गुड़ मैं बन जाऊँ !
लोग कहते है कि मकरसंक्रांति के बाद ठंड कम हो जाती है
पर मैं नही चाहता कि ऐसा हो।
क्योंकि महबूब की जुदाई के आलम से जो मेरा दिल ज़लता है।
ये ठंड मेरे जलते दिल के लिए एक राहत जैसा है।
इस आंसू भरे मौसम मे रब की इनायत जैसा है।
एक तू थी बेख़बर मगर पूरे शहर में,
तेरी मेरी मुहब्बत का पैगाम था
जिस दिन चली तेरे घर की ओर हवा
मेरी हर पतंग पर तेरा ही नाम था..
आंचल सुनहरा
ओढ़ वसुंधरा
चंचल सविता का
क्षितिज पे फैला
प्रकाश सुनहरा
अनंत ब्रह्मनाद सा
गगन गूंजता
भोर की बेला
नभ नीला सा
लगा दसों दिशा
विहग का पहरा
कलरव करता
सुमधुर मंजुला
बहती नदिया
बजता संगीत सा
जाग्रत करता
सुसुप्त आत्मा
नवसाहस भरता
पतंग मन उड़ता
जागो आ गया
समय स्वागत का
एक नवदिवस का
एक नव अवसर का
मंगल शुभ घड़ी का
करो आरम्भ पुनः
सुनो संदेश देता
मकरसंक्राति की शुभकामना
सुनो एक दूजे से ही पेंच लड़ते है
चलो प्यार वाली पतंग उड़ाते है.
मुझे नहीं आती उड़ती पतंगों की चालाकियां,
मैं वो मांझा नहीं जो गले मिलते ही गला काटूं।
पतंग कट भी जाए मेरी
तो परवाह नहीं यारों ,
आरज़ू बस ये हैं कि
उसकी छत पे जा गिरे !!
बहार देखो !
मौसम खुशमिजाज़ है,
सूर्य हंस रहा है,
पेड़ पौधे नाच रहे हैं,
चिड़िया गा रहे हैं,
क्योंकि आपको मकर संक्रांति की शुभकामनायें देने के लिए,
हमने उन्हें कहा है !
आओ मिलकर जश्न मनायें,
मकर संक्रांति का,
भेद-भाव को त्याग करें,
बनायें एक क्रान्ति सा,
लोगो का सम्मान करें,
बनायें पर्यावरण शान्ति का!!
अगर पतंग हाथ में आ जाती तो पकड ही लेती
पर हाथ से वो हवा के झोके सी निकल ही गयी
मै पतंग, तु धागा
मै जब जब गिरा
तू डोर थाम ही लिया
मै जब जब कटा
तुमने फिर से खुद मे बाँध लिया
मै तेरे सहारे फिर उड़ चला..
मै फिर आशमान मे उड़ने चला..
सूरज ने बदला है कोट
नदिया में लहरें उठ आयी
किरणों ने धरती को चूमा
फसलें सारी मुस्काई
प्रकृति ने संगीत सुनाया
अरमानों ने पतंग सजाई
हरा दुशाला ओढ़े धरती
दुल्हन बनी, शुभ घड़ी है आयी
तिलबुग्गा, गुड़पट्टी जैसी
आपको मीठी मीठी सी बधाई!