Mandir ki ghanti,
Arti ki thali,
Nadi ke kinare suraj ki lali,
Zindagi me aaye khushiyo ki bahar,
Apko mubarak ho sankrant ka tyohar.
Happy Makar Sankrant
सरेआम ये आसमाँ यूँ ही बदनाम हो गया
पतंगों ने आपस में नजरें जो मिलाई।
एक पतंग इस बार
उनके नाम की है छोड़ी।
कोई छीन ना ले इसे
ख़ातिर उसिके जम के थामी है ये डोरी।
कोई काट भी दे इसे तो ग़म नही
बस डरते है कि कोई कर ना दे इसकी चोरी।
पर थाम ले जो कोई हमसे भी ज़्यादा प्यार से
चल देंगे ख़ुशी-ख़ुशी कर के उनकी तमन्ना पूरी।
तेरा मेरा साथ पतंग और मांझे सा है ,
गर संग चले तो आसमां छू लेंगे…..
बाबा ढील देना अपने मंझे को
मैं हवा में उड़ती चली जाऊगी ।।
भैया ही क्यों सिर्फ अकेल
आपका नाम आगे बढ़ाए ,
मैं भी पूरे आसमान में
आपका नाम रौशन कर दिखाऊँगी ।।।
पतंगो के झुंड आज आसमानों मे दिखेंगे,
कई उड़ेंगे कई कटेंगे;
फिर भी हर चेहरे पर मुस्कान खिलेंगे,
क्यों ना इसी तरह हम भी अपने जीवन के;
हर कदम पर मुस्कान सजाएं रखें ।
इसी आशा के साथ आप सभी को;
मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं 🙏।।
मीठे गुड में मिल गया तिल,
उडी पतंग और खिल गया दिल,
हर पल सुख ओर हर दिन शांति,
आप सब के लिए लाये मकर संक्रांति…!!
TIL hum hai, aur GUL aap,
MITHAI hum hai aur MITHAS aap,
SAAL ke pahale tyohar se ho rahi aaj SHURUWAT.
Aap ko hamari taraf se..
*HAPPY MAKAR SANKRANT*
Kaat naa sake kabhi koi patang aap ki, Toote naa kabhi dor aapke vishwas ki Chu lo aap zindagi ki sari kamyabi, Jese patang chhuti h unchaiya aasman ki. Wish You Happy Makar Sankranti
पल पल सुनहरे फूल खिले,
कभी न हो काँटों का सामना,
जिन्दगी आपकी खुशियों से भरी रहे,
संक्रांति पर हमारी यही शुभकामना,
मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई…!!
मगर संक्रांति
के पावन पर्व की
आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
एक वक्त था जब आधी रात तक
पतंगों की कंनी बनाते थे.
एक वक्त है आज की खिचड़ी पर
भी पतंग नही उड़ाते है.
happy #makrsankrani ✌
पतंग से ख्वाब उडते…
दूर हवा में जा लहरा रहे हैं!
डोर मेरे हाथ में है
हां, अभी तक हाथ में हैं!
पर और भी ख्वाब इस आसमान में है
एक दूसरे को काटते, लूटते, जमीन पर गिरा ते
कुछ ख्वाब बहुत ऊंचे हो गए हैं यहाँ
कुछ रह गए नीचे ही
मेरी भी डोर मेरे हाथ में है
ख्वाब की और ऊंचाई की ओर बढ़ते
पतंग से ख्वाब उड़ते…
डोर, चरखी, पतंग सब कुछ था
बस उसके घर की तरफ हवा न चली…!!!
नील गगन में पतंग तेरे नाम की चढा़येंगे
तुम भी आ जाना गौरी… छत पे पकौड़े खिलाने के बहाने से
हम पेंच नैनो के लडायेंगे..
बस माँझा तुम अपनी झुल्फों को न बनाना
हाय…नहीं तो हमारे सारे के सारे पेच कट जायेंगे..!
बेशक
अपने दिल की पतंग को
ख़ूब आकाश चूमने दीजिए
लगाइए ठुमकियाँ
अपने तरीकों की
अपने इरादों की
अपने हौंसलों की
अपने वादों की
पर एक बात और है
जो मजा कटी पतंग सा
आजाद मटकनें में है
और कहीं नहीं