कमा के इतनी दौलत भी
मैं अपनी ”माँ” को दे ना पाया,
उतने सिक्के भी जितने सिक्कों से
”माँ” मेरी नज़र उतार कर फेक दिया करती !
Kama Ke Etni Daulat Bhi,
Main Apni Maa Ko De Na Paya,
Utne Sikkhe Bhi Jitne Sikkhon Se
Maa Meri Nazar Utar Kar Feq Diya Karti Thi!!
मॉं भले ही पढ़ी-लिखी न हो,
लेकिन दुनिया की सबसे जरूरी बातें
हमें मॉं ही सिखाती है!
एक मॉं का प्यार किसी और की तरह नहीं होता,
यह कोई सीमा या सीमा नहीं जानता,
यह हर परक्षण और क्लेश के माध्यम से सहन करता है!
मॉं तो सिर्फ मॉं ही होती है,
जो हर हाल में पहचान लेती है,
कि ऑंख सोने से लाल हुई है या रोने से!
ऐ अंधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया,
मॉं ने ऑंखें खोल दी घर में उजाला हो गया
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