मुझे पूरी कायनात का प्यार चाहिए
‘मां’ मुझे तेरे आंचल की छांव चाहिए
चलती फिरती आंखों से,
अजां देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी,
लेकिन माँ देखी है
मुसीबतों ने मुसीबतों में आँख दिखाई तो हिम्मत ने हिम्मत छोड़ दी
और अक्सर सुकून दे जाने वाली दूर से आती वो ट्रेन की आवाज़
घबराहट को साथ लपेटे इस बार कुछ डरा सी गई, हार मानने का
सोचा ही कि नज़र दरवाज़े पर पड़ी दस बजे तक सोजाने वाली माँ
रात के तीन बजे नींद भरी आँखो के साथ एक कप चाय लिए खड़ी थी
हर बार की तरह इस बार भी चाय में अदरक तो कम थी मगर कुछ और था,
हौसला बहुत सारा हौसला फिर से डट जाने का हौसला
अपनी कहानी को बेहतर बनाने का हौसला
जब मैं तुम्हें ‘झा’ करती थी,
पीछे तुम्हारे छिप के तुम्हें परेशान करती थी,
वो बचपन के दिन कभी धुंधली ना पड़े,
तुमने तस्वीरों में कैद कर दिया उन्हें।
जब कहीं भी मेरा नाम हुआ,
सबके पीछे तुम थी,
छुप के पीछे से हमेशा
मेरे नाम और हौसले को कभी कम ना होने दिया।
जब कोई दोस्त नहीं था, तब दोस्त बन के मुझे सताया,
रिश्तो, दोस्ती और प्यार करने का मतलब समझाया।
आज जब लिखने की बारी आई तुम्हारे लिए फिर, तो क्या लिखू …..?
कैसे उन लंबहो को शब्दों में कैद कर दूँ,
कैसे हमारे प्यार को मोतियों में पिरो के बांध दूँ,
कैसे हमारे इस रिश्ते को बस ‘माँ-बेटी’ के रिश्ते का नाम मैं दे दूँ।
करता रह गया मैं जमाने से शिकवा गिला,
पर मां से बेहतर कोई सुनने वाला न मिला !
मुख़्तसर सी ज़िन्दगी है
और मौसिकी का शौक भी
तलब तो बस उसकी धड़कन सुनने की है
फक्त मयस्सर माँ की गोद नही
फीका पड़ गया स्याही कलम का, शब्दकोश ख़त्म हो गया
लिख रही थी स्नेह “माँ” का, नजाने कब उमर ही बीत गया
अक्सर देखा है मैंने पुरुष कवि होता है
दार्शनिक होता है फ़िल्मकार होता है
चित्रकार होता है बहुत बेचैन है
कुछ रचने लिए क्योंकि वह कभी
जीवन नहीं रच सकता
क्योंकि वह कभी माँ नहीं बन सकता।
माँ..
माँ तो माँ होती हैं
माँ ही तो खुशियों की वजह होती है
माँ नहीं होती घर में जो मेरे
माँ के बिन खुशियां भी कहां होती है,,,,,
माँ तो माँ होती है
माँ कि मोहब्बत बेईन्तेहा होती हैं
मैं कभी रूठ जाऊं भी माँ से
माँ मुझसे कब खफ़ा होती है,,,,,,
माँ तो माँ होती है
माँ ही तो सारा जहां होती हैं
जानती है वो मेरे दिल के हर राज
माँ ही है जो सच्ची आशना होती है।
मेरी इन रगों में तेरा ही तो रक्त है,
तू ही तो मुझे जीवन देने वाली शख्स है।
मेरा जीवन तो बस तुम्हारा अंश है,
और इस संसार में तू ही तो मेरे लिए अतिरिक्त है।
नानी माँ के लाड के बिना तो जीवन व्यर्थ है,
उसी के साथ मुझ में दादी माँ के नुस्खे भी लिप्त है।
इन पंक्तियों में तो बस मेरी माँओं का हल्का सा जिक्र है,
इन्हें ही तो सदैव सबसे ज़्यादा मेरी फिक्र है।
इसलिए अभी भी वक्त है,
और इस कविता में मेरे लिए तुम्हारा प्रेम व्यक्त है।
Thanks to all my moms…
Happy Mother’s Day to all moms from my side..💐