जिंदगी की कड़ी धूप में छाया मुझ पे किये
खड़ी रहती है सदा माँ मेरे लिये
माँ के आँचल में आकर हर दुख भूल जाँऊ
हाथ रखे जो सर पे चैन से मै सो जाऊँ!
Zindagi Ki Kadi Dhoop Main Chaya Mujh Par Kiye,
Khadi Rahti Hai Sada MAA Mere Liye,
MAA Ke Anchal Main Aakar Har Dukh Bhula Jaun,
Hath Rakkhe Jo Sar Pe Chan Se Mein So Jaun!!
Wish You A Very Happy Mother’s Day!
यूं तो हंसता हूँ दोसतों संग
तुझे देखे बिना चेहरे पर मुस्कान खिलती नहीं।
कहने को तो सोता हूँ हर दिन
माँ, तेरे आंचल बिना सुकून की नींद मिलती नहीं।
वो उलझी रहती है अपनी ही शाखों में
माँ को सबके भूख की फिक्र सताती है।
काँच के कप में छान सूरज की किरणें
माँ हौले से कमरे का पर्दा उठाती है।
– सुप्रिया मिश्रा
माँ
जो नींद माँ की गोद मे आती थी
वो नींद अब आ नहीं सकती …अब तो थककर सो जाते है …😭😭😭
मेने जो फील किया है…happy Mothers day मातृ दिवस😊😊😊
नींद में अक्सर अलार्म बन्द कर दिया करती हूँ मैं,
मेरी आँखे माँ की चूड़ियों की खनखनाहट से खुलती हैं।
ये जरूरी नहीं कि
माँ से खून का रिश्ता हो
माँ हर बात जानती समझती है
वो अपने बच्चों में
कभी भेदभाव नहीं करती
चाहे जितना भी खो जाना
एक बार माँ के पास जाकर देखना
वो ढूंढ लाएगी
Maa
Wo jo baar baar hr mushkil wqt jo khayal tumhe aata h na ,
Wo jiska roothna tumhara bhi dil dukh jata h na,
Wo jo tumhe bina pooche hr sawal ka jawab mil jaata h na,
Wo jo tumhari hazar galtiyo k baad bhi tumhe bulata h na,
Wo jo tumhare sath na hokr bhi tumhe jaan jaata h na,
Wo jiska hr ehsaas tumhari muskan ban jaata h na,
Wo behtreen ehsaas h maa
Kuch bhi ho khaas h “maa”..💗
माँ
है तो बहुत कुछ खरीद के खाने को
तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कहीं बिकती नहीं।
पेट तो भर जाता है मेरा
माँ, मेंहगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं।
माँ जब भी मैं संस्कृत का कोई श्लोक बनू,
आप व्याख्या की मुख्यधारा बन जाना;
समझ ना सके मुझे कोई फिर भी,
आप मेरी व्यथा सब को बयाँ कर जाना….
माँ जब भी मैं तलवार की कोई धार बनू,
आप निश्छल मेरी म्यान बन जाना;
जब भी मैं क्रोध में अपना आपा खो जाऊं,
आप ओढ़ कर मुझे अपने आँचल में बस शान्त कर जाना…
माँ जब भी मैं ओश की आख़री बून्द बनू,
आप सूरज की पेहली किरण बन जाना;
गिरना मैं चाहूँ कितना भी निराश होकर,
आप वाष्पीभूत करके मुझको फिर से उस नीले आसमाँ में ले जाना…
माँ जब भी मैं समन्दर के बीच मे फसी कसती बनू,
आप विशाल सरल सी एक धारा बन जाना;
अटका रहू मैं कही भी उलझन में,
आप ममता के एक स्पर्श से मुझे मेरी मंजिल तक पहुँचा जाना…
माँ जब भी मैं नटखट सी कोई शरारत करू,
आप प्यार से मेरे कान पकड़ना,
मैं घर मे पूरे मासूमियत से किलकारी भरु,
आप गले लगाकर मुझको अपना कान्हा बना लेना,
और खुद यशोदा मैय्या बन कर घर को हमारे वृन्दावन बना देना….