मैं निकला सुख की तलाश में रास्ते में खड़े दुखों ने कहा… हमें साथ लिए बिना… सुखों का पता नहीं मिलता जनाब… Mein Nikla Sukh Ki Talash Mein, Rashte Mein Khade Dukhon Ne Kaha… Humein Sath Liye Bina… Sukhon Ka Pata Nahi Milta…. Janab!
एक बूढ़ा लगभग रोज!!
एक बूढ़ा लगभग रोज अखबार की दुकान पर आकर कई अखबार उलट पलट कर देखता, एकाध खरीद भी लेता कभी। कई दिनों बाद दुकानदार ने पूछा, ” बाबा ,आप क्या खोजते हो रोज इन अखबारी पन्नों में? ” ” अपनी तस्वीर ” बूढ़े ने कहा! क्या आपने छपने को भेजी है कहीं ? नहीं ,पर…
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं!!
उत्तम विचार जो इंसान अच्छे विचार और अच्छे संस्कारो को पकड़ लेता है फिर उसे हाथ में माला पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ती अकाल हो अगर अनाज का तब मानव मरता है किन्तु अकाल हो अगर संस्कारों का तो मानवता मरती है संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं और र्इमानदारी से बड़ी को विरासत नहीं।…
अपनेपन की अभिलाषा…!!
अपने ही अपनों से करते हैं अपनेपन की अभिलाषा… पर अपनों ने ही बदल रखी है, अपनेपन की परिभाषा… Apne He Apnon Se Karte Hain, Apnepan Ki Abhilasha… Par Apnon Ne He Badal Rakhi Hai, Apnepan Ki Paribhasha…
फैसले नही फासले हो जाते है!!
खुद से बहस करोगे तो सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे ! अगर दुसरो से करोगे तो और नये सवाल खड़े हो जायेंगे !! जब मनुष्य अपनी ग़लती का वक़ील और दूसरों की गलतियों का जज बन जाता है तो फैसले नही फासले हो जाते है!! Khud Se Bahas Karoge To, Sare Sawalon Ke Jawab…
नेत्र केवल दृष्टि प्रदान करते है!!
इज्जत और तारीफ मांगी नही जाती, कमाई जाती है नेत्र केवल दृष्टि प्रदान करते है परंतु हम कहाँ क्या देखते है यह हमारे मन की भावना पर निर्भर है ॥ Ijjat Aur Tareef Mangi Nahi Jati Kamai Jati Hai! Netra Kewal Dristi Pradan Karte Hain, Parantu Hum Kahan Kya Dekhte Hain, Yah Humare Man Ki…
पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए!!
पेट की भूख ने जिंदगी को हर रंग दिखा दिए तो अपना बोझ न उठा पाए पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए। Pet Ki Bhookh Ne Zindagi Ko Har Rang Dikha Diye… Jo Apna Bojh Na Utha Paye Pet Ki Bhookh Ne Patther Udhwa Diye!
भूख से बड़ा ”मजहब’!!
भूख से बड़ा ”मजहब” और रोटी से बड़ा ”ईश्वर” कोई हो तो बता देना मुझे भी ”धर्म” बदलना है! Bhukh Se Bada Mazhab Aur Roti Se Bada Iswaar Koi Ho To Bada Dena… Mujhe Bhi “Dharma” Badalna Hai!
जब पेट के अंदर भूख रोती है!!
कहते हैं मुस्कान अनमोल होती है, सिर्फ 10 रूपये में बिकती है बाबू, जब पेट के अंदर भूख रोती है! Kehte Hain Muskaan Anmol Hoti Hai, Sirf 10 Rupee Mein Bikti Hai… Babu, Jab Pet Ke Ander Bhookh Roti Hai लॉकडाउन में पेट पर क्यों नहीं लगाया गया है ताला अरे साहब गरीबों तक पहुंचाओ…
मुझे भूख नहीं है!!
जब एक रोटी के चार टुकड़े हों और खाने वाले पाँच… तब मुझे भूख नहीं है ऐसा कहने वाली सिर्फ माँ होती है!! Jab Ek Roti Ke Char Tukde Ho, Aur Khane Wale Panch ( 5 ) Tab Mujhe Bhookh Nahi Hai, Aisa Kehne Wali Sirf Maa Hoti Hai!
आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते!!
आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, पर आपनी आदतें तो बदल सकते हैं! और बदली हुई आदतें आपका भविष्य बदल देंगी! – ए पी जे अब्दुल कलाम Aap Apna Bhavisya Nahi Badal Sakte Par Apni Aadaton Ko To Badal Sakte Hain! Aur Badli Hui Aadatein Aapka Bhavisya Badal Deingi ~ APJ Abdul Kalam