
लड़ाई-झगड़ा कर लेना पर
बोलचाल बंद मत करना
क्योंकि बोलचाल बंद होते ही
सुलह के सारे रास्ते भी बंद हो जाते हैं!!
Ladai – Jhagda Kar Lena
Par Bool Chal Band Mat Karna
Kyoki Boolchal Band Hote He
Sulah Ke Sare Rashte Bhi Band Ho Jate Hain!

बहस और बातचीत में एक बड़ा फर्क है,
बहस सिर्फ यह सिद्ध करती है की,
कौन सही है, जबकि
बातचीत यह तय करती है
की क्या सही है!

जरूर से ज्यादा बातचीत,
जरूरत से ज्यादा लगाव,
जरूरत से ज्यादा उम्मीद और
जरूरत से ज्यादा भरोसा
अन्त में इंसान को जरूरत से ज्यादा कष्ट देता है।!
जब किसी के साथ रिश्ते में गाँठ पड़ जाये तो,
उनके बारे में औरों से बात नहीं लेकिन,
खुद उनसे बात करें
जितने लोगों से हम बात करते हैं,
उतना हर एक की भाव भावनाएं बात को उलझा देती है
Karmic Account सिर्फ उनके साथ है,
सुलझाना भी उनके साथ ही होगा!
भले ही लड़ लेना-झगड़ लेना,
पीट देना या पिट जाना,
मगर बोलचाल बंद मत करना,
क्योंकि बोलचाल के बंद होते ही सुलह के सारे
दरवाजे बंद हो जाते हैं,
गुस्सा बुरा नहीं है,
गुस्से के बाद आदमी जो वैर पाल लेता है,
वह बुरा है, गुस्सा तो बच्चे भी करते हैं,
पर बच्चे वैर नहीं पालते,
वे इधर लड़ते-झगड़ते हैं,
और उधर अगले ही क्षण फिर एक हो जाते हैं,
कितना अच्छा रहे कि हर कोई बच्चा ही रहे।
Sir mera friend mere aur apni sister ko leke galat fehmi ka shikaar hora hai …jabki aisa kuch bhi nai hai Mei kabhi sapne mei bhi nai soch sakta …..jaisa mera friend samajhra hai
Please aisi shayari banake mujhe mail kare
Taki uske dil ko cchu jaye wo mujhe sahi samjhe