क्रोध आने पर चिल्लाने के लिये
ताकत नहीं चाहिए
मगर क्रोध आने पर
चुप रहने के लिए बहुत ताकत चाहिए!
Krodh Aane Par Chillane Ke Liye
Takat Nahi Chaiye Magar Krodh Aane Par
Chup Rahne Ke Liye Bahut Taqat Chaiye!
क्रोध की सीमा तय नहीं कर पाता जब ज़हन,
दिल में एक कंपन सी उठ जाती है तब।
शरीर में उथल पुथल मच जाती है,
और बेकरार हो जाता है मन।
ग़म क्रोध जो पी गया !
समझों वो जी गया !
क्रोध वो ज़हर है जिसे आप स्वयं पीकर,
दूसरो को मारने की चेष्टा करते हैं ।।
समझा ना सुना कुछ भी ना गुना
डर वहम से बस आक्रोश बुना
फिर चलीं गोलियाँ जवानों पे
मासूमों पे इन्सानों पे
हम देश बचाने निकले थे
देश पर हथियार चला बैठे
हम देश सुरक्षित करने में
विश्वास देश का गंवा बैठे।
देखा सुना है कि प्याज की तासीर गरम होती है
कोई खा कर क्रोध करता है तो कोई देख कर भी !
हिंसा भी हिंसा ही है शारीरिक हो या विचारात्मक
मुझे भी काबू पाना है अभी स्व अर्थी विचारों पर !