“कष्ट इतना कष्टकारी नहीं होता,
जितनी उसकी चिन्ता कष्टकारी होती है!”
Kasht Etna Kashtkari Nahi Hota,
Jitni Uski Chinta Kashtkari Hoti Hai!
जब भी आपको अपनों पर गुस्सा आए तब शांति
से बैठिए और उनके द्वारा किए हुए एहसानों को
याद कीजिए,गुस्सा अपने आप शांत हो जाएगा।
जो पत्ते सूख चुके हैं वे झड़ जाए तो ही बेहतर है
क्योंकि वह एक हवा का झोंका भी बर्दाश्त नहीं
कर पाएंगे पर दिखावे के लिए साथ में ही रहेगे।
खुद के बनाए हुए जाल में हर कोई फसता जा रहा है।
उम्र कट जा रही है पर यह बात किसी को समझ में नहीं आ रहा है।
बड़ी मुश्किल है अपनों के भीड़ में अपनों को ही खोजना।
जब पैसा तुम्हारी जरूरत से जादा होगा न मेरे दोस्तों…
तब मंदिर में सोने का मुकुट चढ़ाओ न चढ़ाओ
पर उन भूखे गरीबों को खाना जरूर खिला देना।
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