दूसरों में बुराई देखने से पूर्व,
मनुष्य को यह जान लेना चाहिए कि
कही उसमें तो बुराई नहीं है, यदि वह स्वयं ही बुरा है
तो उसे दूसरों को बुरा कहने का कोई अधिकार नहीं है! ~ कबीर दास जी
Dusron Main Burai Dekhne Se Purva,
Manushya Ko Yah Jaan Lena Chaiye Ki
Kahi Usmein To Burai Nahi Hai,
Yadi Wah Suyam He Bura Hai
To Use Dusron Ko Bura Kehne Ka Koi
Adhikaar Nahi Hai! ~ Kabir
इस संसार का नियम यही है,
कि जो उदय हुआ है, वह अस्त होगा,
जो विकसित हुआ है वह मुरझा जाएगा।
जो छिना गया है वह गिर पड़ेगा
और जो आया है वह जाएगा
-संत कबीर दास
हिंदु कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना,
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना
अर्थ:- कबीर कहते हैं कि हिन्दु राम के भक्त हैं
और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है,
इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे,
तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया
-संत कबीर दास जी
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