जमाना खराब है,
ये सोच ही खराब है,
स्त्री-स्वतंत्रता हनन का ये पहला चरण है,
हर एक की सोच बदलेगी, तभी जमाना बदलेगा,
वरना हर रोज किसी निर्भया का, नाम अखबारों में निकलेगा!
Jamana Kharab Hai!!
Ye Soch He Kharab Hai!!
Stri Swatantrata Hanan Ka
Ye Pehla Charan Hai,
Har Ek Ki Soch Badlegi,
Tabhi Jamana Badlega!!
Warna Har Roz Kisi Nirbhaya Ka
Naam Akhbaron Mein Niklega!!
Hindi Poem on Rape
आओ देखें बैठे बैठे
लुटती अस्मत
मरती औरत
आओ देखें बैठे बैठे
रोती बेटी
सिसकती बेटी
डरती बेटी
आओ देखें बैठे बैठे
घायल पत्नी
कराहती पत्नी
सूनी आँखों वाली पत्नी
आओ देखे बैठे बैठे
क्यूँकि कुछ कर सकते नहीं।।
इन नाज़ुक सी कलियों को फिर किसने तोड़ गिराया है,
महक दबी नीचे पैरों के, दफ़्हन उन्हें कर डाला है!
बलिदानों की धरती पर ये कैसा राच्छस् आया है,
एक निर्भया चार निर्भया कितनों को तड़पाया है !
मंजिल आकाशी छूने की सीमित कर के छोंड़ा है,
इन भूंखें शैतानों ने, ज़ख़्मों को जिस्म पे छोंड़ा है !
नस्ल नही इनकी कोई बस रगों में इनकी पानी है,
बहुत हो गयी सुनवाई, बस अब फ़ाँसी की बारी है !
हाँथ काँपते फ़ाँसी से तो कर दो मुद्दा सामाजिक,
सौंप दो भूंखी जनता को, फिर बालिग़ हो या नाबालिग़ !
ना कोई निर्भया तड़पेगी,ना जान से हाँथ गंवाँयेगी,
चौराहों पे लाश टंगेगी, पुश्तें भी डर जायेंगी !
शायद उस दिन ताला टूटे संविधान की पेटी का…..
जिस दिन जिस्म निचोड़ा जाएगा किसी मंत्री की बेटी का….
Shayad Us Din Tala Tute Savidhan Ki Peti Ka…
Jis Din Jism Nichoda Jayega Kisi Mantri Ki Beti Ka…
नारी का सम्मान भी है, नारी का अभिमान भी है।
आज होती इस ‘हिंसा’ पर, शर्मसार भगवान् भी है॥
सज़ा दिलवा पाएं हम इन्हें, क्या इतनी नहीं हम में ताक़त।
ऐसे शैतानो की चौखट पर, दम तोड़ रही है इंसानियत॥