दे सलामी इस तिरंगे को,
जिस से तेरी शान है,
सर हमेशा ऊंचा रखना इसका,
जब तक तुझमें जान है.
“Happy Independence Day”
अपनी अनकही यादों को घर पर छोड़ आया हूँ।
किसी के दिल की तड़पन को तड़पता छोड़ आया हूँ।
मुझे दुगनी मोहब्बत से सुलाना भारती माता।
मैं मेरी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ।
धर्म के नाम पर पता नहीं, कितना खून बर्बाद होगा ।
अब की बार पता नहीं अपना देश कब आज़ाद होगा।
Happy Independence Day
कभी अपनों से दूर रह कर देख लेना,
कभी तपती धूप में रह कर देख लेना,
कभी तेज़ बारिश में ठंड को सह कर देख लेना,
कभी किसी की हिफाज़त में अपना लहू बहा कर देख लेना,
कभी अपने सपनों से लड़कर देख लेना,
मान जाओगे देश की रक्षा ऐसे होती है ।।
अनेकता में एकता” हमारे देश की पहचान है
गर्व है हमें हमारी जन्मभूमि हिन्दूस्तान है।
Happy Independence Day
स्वतंत्रता दिवस की🙏हार्दिक शुभकामनाएं
💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳💐
तेरे मान के लिए हम हजारो से लड़ जायेंगे..
तेरे सम्मान के लिए हम खुद झुक जाएंगे..
कभी कम होने ना देंगे तेरे इमान को
खुद सरहद पे गोली खाकर शहीद हो जाएंगे..
लेकिन कभी भी तेरे इन तीन रंगों का
वजूद हम मिटने नहीं देंगे…
🇮🇳 जय हिंद 🇮🇳 जय भारत 🇮🇳 वंदे मातरम 🇮🇳
चमन में रहे अमन
नफरती साजिशें करनी है ख़तम
सच के वास्ते, सच के रास्ते, चलते चलू
क्यों गलत शख्सियत से डरू
किस्मत कहूंगा अपनी अगर
मरना पड़े तो इस मिट्टी के लिए मरू
सरदार की नीति की, बोस के साहस की,
नेहरू के नेतृत्व की, अम्बेडकर के ज्ञान की,
गाँधी के त्याग की, भगतसिंह के बलिदान की,
मौलाना आजाद की, अशफाकुल्ला खान की
आजादी के लिए जरूरत थी भारत को
हर एक इन्सान की
ज़माने भर में मिलते है आशिक कई ,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता ,
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे है कई ,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता।
शहादत महकती है यहां की मिट्टी में
वीरो की बलिदान की कहानी है आज़ादी❤️
#आज़ादी मुबारक🇳🇪
इतनी आसान तो न थी ये आजादी,
ना जाने कितने बेगुनाहों का
लहू और रिश्तों की कुर्बानी ली थी इसने..!
स्वतन्त्रता दिवस
की हार्दिक शुभकामनाएं
तेरा वैभव अमर रहे मां।
हम दिन चार रहें ना रहें।।
।। भारत माता की जय।।
आज देश के दीवाने हर जगह जशन मनायेगे
असली तिरंगे का समान करने वाले कल तिरंगे उठायेगे
ऐसे सडको पे गुम कर मना रहे हो अजादी को
ना जाने कब तक ये वीर देश के लिए अपना लहू वहाएगे
अच्छे से मनाओ जशन ए अजादी हर शहर मे
कुछ होंगे जो देश के ही बुखे लोगो को हर रोज की तरह खाना खिलयएगे
जिन्होनें कलन की नौंख पर आवाज उठाया था
हर गली-गली में “पैंगाम-ए-बगावत” पहँचाया था
गुजर रहे थे वे-लोग बहुत कठीन दौर से फिर भी
वतन के लिए कुछ करने का “कसम” खाया था
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वो विर मरदानी “झांसी वाली रानी” ही तो थी
जिसने अपने “हक” के लिए तलवार उठाइ थी
क्या नाम दु मैं उस “देश प्रेमी” और “विरता” को
जिसने अंग्रेजो को इस वतन की धुल चताई थी
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३ ने हँस कर खुद से मौत को गले लगाया था
और एक ने अकेले आजाद हिंद फौज बनाया था
सबके दिल में कुछ करने का एक अलग जज्बा था
और कुछ ने अपने लहु से वतन को पाक बनाया था
-Talat Naaz
देकर लहू अपना जिन्होंने सींचा इस देश की मिटटी को,
हस्ते हस्ते दिया बलिदान अपना पावन किया इस मिटटी को,
गर्व है हमें अपनी मातृ भूमि पे, गर्व है हमें अपने सूरवीरों पे,
जय हिंद,
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त,
मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी,
माँ ने भेजी थी चिट्ठी लौट आना जल्दी,
लेकिन उस बुढ़ी माँ को मिला ना अपना बेटा,
आया संदेशा तो उसके शाहिद का,
उसने अपने वतन के लिए,
अपनी जिंदगी का बलिदान दिया,
आज उनके लहू की शान मे
बड़े गर्व से तिरंगा लहराया ।।
# जय हिंद 🇮🇳