पसीना उम्रभर का उसकी गोद में सूख जायेगा,
हमसफ़र क्या चीज है, ये बुढ़ापे में समझ आयेगा।
Paseena Umrabhar Ka Uski God Mein Sukh Jayega,
Humsafar Kya Chij Hai, Ye Budhape Mein Samjh Aayega!
खूबसूरती से भले ही तू तैयार होकर चल
ज़रूरत अगर हो फ़िर बीमार होकर चल
तुझे कभी कोई ख़रीदने की हिम्मत न करे
सरेआम तू अब ऐसा ही बाज़ार होकर चल
लोगों का तो काम है कहानियाँ सुनाना यहाँ
जो कहा न जा सके वो किरदार होकर चल
जो भी चाहेगा मोहब्बत से तुझे ढूंढ ही लेगा
सबकी हँसी लिए इश़्क में श़ुमार होकर चल
इश़्क करते हो तो बेझिझक बोल देना उसको
अब किसी और इश़्क का इज़हार होकर चल
मेरे हर सफ़र में सिर्फ़ तू मेरा हमसफ़र रहना
भले ही किसी और का हिस्सेदार होकर चल
फूल क्या तारे भी बिछा देगा राहों में “आरिफ़”
इक बार मोहब्बत से ज़रा हमवार होकर चल
जो “कोरा काग़ज़” लिये बैठे हैं बदनाम करने को
उनके लिए जब भी चल सिर्फ़ बेकार होकर चल
लेके बारात आँगन में आना पिया
भर के सिन्दूर मस्तक सजाना पिया
मेरे ख्वाबों में रहते थे तुम रात भर
अब हकीकत में दिल में बसाना पिया
आवाज सुनने को तेरी तरसते थे हम
अब जी भर के धड़कन सुनाना पिया
जब कुछ बताना हो मुझको अगर
कहने में नहीं हिचकिचाना पिया
थाम हाथों को तेरे ही, चलूंगी हर कहीं
तुम भी जीवन भर साथ निभाना पिया
थक जाऊंँ कहीं काम कर कर के मैं
लेकर बाहों में मुझको सुलाना पिया
मेरे जीवन में खामोशियां थीं बहुत
धुन खुशियों की तुम ही बजाना पिया
#बुढ़ापा_खूबसूरत_है
किसी को आपके बालों की चांदी से मोहब्बत हो
किसी को आपकी आँखों पे अब भी प्यार आता हो
लबों पर मुस्कुराहट के गुलाबी फूल खिल पायें
जबीं की झुर्रियों में रोशनी सिमटी हुई हो तो
बुढ़ापा ख़ूबसूरत है…
ज़रा सा लड़खड़ायें तो सहारे दौड़ कर आयें
नये अख़बार ला कर दें, पुराने गीत सुनवायें
बसारत की रसाई में पसंदीदा किताबें हों
महकते सब्ज़ मौसम हों, परिन्दे हों, शजर हो तो
बुढ़ापा ख़ूबसूरत है…
पुरानी दास्तानें शौक़ से सुनता रहे कोई
मोहब्बत से दिलो-जाँ की थकन चुनता रहे कोई
ज़रा सी धूप में हिद्दत बढ़े तो छाँव मिल जाये
बरसते बादलों में छतरियाँ तन जायें सर पर तो
बुढ़ापा ख़ूबसूरत है…
जिन्हें देखें तो आँखों में सितारे जगमगा उठें
जिन्हें चूमें तो होंटों पर दुआयें झिलमिला उठें
जवाँ रिश्तों की दौलत से अगर दामन भरा हो तो
रफ़ीक़े-दिल, शरीके-जाँ बराबर में खड़ा हो तो
बुढ़ापा ख़ूबसूरत है…