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![Holi Ki Hardik Shubhkamnaye Written in Hindi Image Holi Ki Hardik Shubhkamnaye Written in Hindi Image](https://smileworld.in/wp-content/uploads/2017/03/Holi-Ki-Hardik-Shubhkamnaye-Written-in-Hindi-Image.jpg)
प्यार के रंगों से भरो पिचकारी,
स्नेह के रंगों से रंग दो दुनिया सारी
ये रंग न जाने न कोई जात न बोली!
आपको और आपके परिवार को
होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
Pyar Ke Rangon Se Bharo Pichkari,
Sneh Ke Rango Se Rang Do Duniya Sari,
Ye Rang Na Jane Na Koi Jaat Na Boli
**Aapko Aur Aapke Parivar Ko
Holi Ki Hardik Subhkamnaye!**
![Holi Wishes Messages Images in Hindi Status Holi Wishes Messages Images in Hindi Status](https://smileworld.in/wp-content/uploads/2017/03/Holi-Wishes-Messages-Images-in-Hindi-Status.jpg)
अब ये रंग ना उतरेगा कभी,
कहा था मैंने,
पानी मिला ले,
तूने प्यार मिला दिया..।
मही, अर्श में हर्ष है, मारुत छेड़े राग
नर नारी पुलकित भये, औ खेलें ब्रज फाग
स्नान धूरि कौ है कहूँ, कहूँ नील में लाल
तारी दै दै कें उड़े, ब्रज में आज गुलाल
होरी खेलै कन्हाई आज, ब्रज में रंग बरसै
बहे प्रेम की नव रसधार, ब्रज में रंग बरसै
द्वेष भूल सब खेलत होरी
रँगनिउ गोपी हमकूँ चोरी
चाल चलें है टेढ़ी ग्वाले
अरे गुजरिया रंग डरिवाले
चोरी चोरीउ करें कमाल, ब्रज में रंग बरसै
बहे प्रेम की नव रसधार, ब्रज में रंग बरसै
मैं तो बस फागुन हो जाऊं
मैं तो बस फागुन हो जाऊं
हर मौसम में यूँ ही ढल जाऊं
बस हर मौसम फागुन हो जाये
मैं बसंत बन खेतों को सजाऊँ
मैं तो बस फागुन हो जाऊं
पिली सरसों सजी खेतों में
मैं उसकी खुशबु हो जाऊं
फागुन के अबीर गुलाल की
मैं बौछार बन जाऊं
मैं तो बस फागुन हो जाऊं
श्री जी का दीवाना बन जाऊं
जो रंग चढ़े तुझे इस होली पर
मैं उसी रंग में पूरा रंग जाऊं
मैं तो बस फागुन हो जाऊं
![Happy Holi Messages in Hindi Status Happy Holi Messages in Hindi Status](https://smileworld.in/wp-content/uploads/2017/03/Happy-Holi-Messages-in-Hindi-Status.jpg)
आओ कान्हा तुझ संग होली खेले हम
लाओ रंग खुशियो के भर दो हमारे जीवन मे तुम
आओ कान्ह
छेड़ो तुम एक धुन गाये तो हरे संग हम
आओ कान्हा तुझ संग होली खेले हम
आओ कान्हा
#ruhkiawaaz
प्रिय ! अब के तुझे याद खूब आऊँगा होली पर,
गाल सुर्ख न होंगे तेरे शरमा कर मुझ से,
सरहद पर कुछ रंग बिखरा है,
मेरे अपनों का अब के होली
कुछ अलग खेल जाऊँगा
अजी लागा है, सखियों का मेला हो!
रँग डारै, बलम अलबेला हो!!
फागुन की, पछुवैया बिहरै,
लागै तन पर, अंग-अंग सिहरै,
जैसी झूमै है, चम्पा की बेला हो!! रँग डारै०
शीश पै, नवरँग चीरा बाँधे,
पियरी अंग पर, मनसिज गाँथै,
सखि! छिलकै बदन, ‘रँग नीला’ हो!! रँग डारै०
पग भईं रज सौं, नीली-पीली,
केसर कुमकुम, छाप छबीली,
मोपे अटके है, ‘पटुका रंगीला’ हो!! रँग डारै०
कचकी कलैयाँ, भींजी साड़ी,
अँखियन मै, पड़गी, पिचकारी!
उर हँसि कै, लगावै, ‘हँठीला’ हो!! रँग डारै०
आजु पिया रँग, रँग गी गोरी,
कोउ उन्मत्त, कोउ छुपकै थोड़ी,
रास सबसै, रचावै ‘रसीला’ हो!! रँग डारै०
सुन रसिया तोरे, चरण चुमाउँ,
रसवारी, तुम्हरी कहलाऊँ,
‘चन्द्रिका’ को, ‘चन्दर चटकीला’ हो!! रँग डारै०