हो समर्पित वतन पे ललन चाहिए,
भगत, आजाद जैसे रतन चाहिए।
मृत्यु के बाद यदि जन्म फिर से मिले,
तो भारत ही मुझको वतन चाहिए।
Happy Independence day
रंग परत कागज़ बजा,
करके मुनादी जाऊंगा,
बन भगत बिस्मिल गुरु,
मैं ही आज़ादी लाऊंगा।
संस्कार और संस्कृति की जो धरती है
ऐसे भारत को मैंने जाना है,
विविधता में एकता है
भाई भाई हर हिंदू हर मुसलमान है
ऐसे भारत को ही आज़ाद मैंने माना है…
Happy Independence day
‘ उन आँखों के दो आंसू से सातो सागर हारे ..’
ये पंक्ति उन जाबांज शहीदों के परिवार के लिए जिन्होंने
अपने निर्भीक सपूतों को खोया है !!
क्योंकि हम मना रहे थे जब दिवाली, वो खेल रहे थे होली !!
प्रेम तेरा रग-रग में बहे
हर दिल का तू अभिमान है
कायम रहे तू अनंत काल
तेरा नाम ही मेरी पहचान है
वादियों में झूमता सावन
अब अखण्ड तेरी तस्वीर है
चमक उठी लालिमा ललाट की
कि तिरंगे में रंगा कश्मीर है
दे आशीष तेरी छाया बनूं
रंगों में तेरे ना कोई भेद रहे
केसरिया तिलक हो धानी चुनर
मन मेरा सदा ही श्वेत रहे
तेरे आँचल ने सींचा बचपन
तेरी खुशबू में मेरी जवानी पले
सौगात है तेरी माँ साँसें ये मेरी
कि जब निकले तेरी बाहों में ही दम निकले
जहाँ जाति धर्म से ऊंचा मानवता का सिंहासन हो,
झूठ फरेब से हट कर मर्यादा का पालन हो,
वीर शहीदों की कुर्बानी का हर युवक गुणगान करे,
आओ मिल कर ‘नये भारत’ का हम निर्माण करें।।
जहाँ पानी संचित करने के नित नए प्रयास करें,
दिव्यागों की सब कदर करें, ना कोई उनका उपहास करे,
गली मोहल्ले चौक चौबारे सब स्वच्छ रखने का आह्वान करें
आओ मिल कर ‘नये भारत’ का हम निर्माण करें।।
जहाँ बंधुआ मज़दूरी की भेंट कोई बचपन ना चढ़ पाये,
शिक्षा पर अधिकार सभी का, ये बात जन जन को समझाए,
जहाँ नारी के हर रूप का आदर सम्मान करें,
आओ मिल कर ‘नये भारत’ का हम निर्माण करें।।
जहाँ फसल लहलहाती हो, और हर किसान खुशहाल रहे,
हरा भरा हर गांव शहर हो, प्रदूषण का न निशान रहे,
जहाँ नयी तकनीक के साथ, पुरानी संस्कृति पर अभिमान करें,
आओ मिल कर ‘नये भारत’ का हम निर्माण करें।
-रंजीता अशेष