क्रोध एक शक्ति नहीं
लेकिन, शांति एक महान शक्ति है..
ऐसे वैसे बात करने को शक्ति चाहिए ही नहीं,
लेकिन, मौन रहने को शक्ति चाहिए…
जब क्रोध में भी शब्द में सम्मान हो
अपशब्द न हो ज़ुबान पर
इसे ही संस्कार कहते है
जब क्रोध मे भी रिश्ते का ध्यान हो
चोट न हो मान पर
इसे ही प्यार कहते हैं
जब क्रोध में भी न कोई अभिमान हो
क्षमा करो मुस्कान पर
इसी को परिवार कहते हैं
जब सहनशीलता की सीमा पार करती है,
तब प्रतिशोध की चिंगारी उठती है ।
यह चिंगारी क्रोध की ज्वाला बन जाती है,
और फिर ज्वाला कहाँ देखती है कि,
अपना घर जल रहा है, या दुश्मन का ।
1. क्रोध में भी जो अपनी वाणी पर संयम रखें।
संसार का सबसे बड़ा ज्ञानी वही होता है।।
2. काश मैं ख़ुद को इस काबिल बना पाती।
अपनी भावनाओं को दिल में छुपा पाती।।
3. सुनाने की हिम्मत है तो सुनने की भी हिम्मत रखो ना।
दिल में जज़्बात है तो दूसरों की भी जज़्बात को समझो ना।।
माचिस किसी दूसरी चीज को
जलाने से पहले खुद को जलाती है,
इसी तरह गुस्सा पहले आपको
बर्बाद करता है फिर दूसरे को!!
Machis Kisi Dusri Chij Ko
Jalane Se Pahile Khud Ko Jalati Hai,
Isi Tarah Gussa Pahile Aapko
Barbad Karta Hai Phir Dusron Ko….
मन साफ रखो
रखो इरादे नेक
मत करो क्रोध
वरना खो दोगे विवेक
थोड़ा प्रेम गिरवी रखकर, मैं क्रोध लेने निकला हूँ
मुझ पर हुए हर सितम का प्रतिशोध लेने निकला हूँ।