माचिस किसी दूसरी चीज को
जलाने से पहले खुद को जलाती हैं..
गुस्सा भी एक माचिस की तरह है..
यह दुसरो को बरबाद करने से पहले
खुद को बरबाद करता है!!!
Machis Kisi Dusri Chiz Ko
Jalane Se Pahile Khud Ko Jalati Hai…
Gussa Bhi Ek Machis Ki Tarah Hai…
Yah Dusron Ko Barbad Karne Se Pahile,
Khud Ko Barbad Karta Hai…
क्रोध हवा का वह झोंका है,
जो बुद्धि के दीपक को बुझा देता है ।
क्रोध और अहंकार की अग्नि की लपटें इतनी घातक होती है
कि चंद पलों में वर्षों के रिश्तों को जलाकर राख कर देती है।
क्रोध की अग्नि में तप रहा हूं
हथियार उठाने से भी डर रहा हूं
कुछ इस तरह उकसा रहे हैं समाज के किस्से
विनाशक बनने की कगार पर पहुंच रहा हूं
अभी तो बचपना है सोच में,
क्रोध की चिंगारियाँ “गुलाबी” निकलती है।
जब कोई हमारे असफलता को गिनता है ।
तो मनोबल ज्वालामुखी सा पिघलता है ।
क्रोध भी आता है,पर मुफ्त में जूनून दे जाता है ।
फिर मंजिलें मेहनत की पत्थर और वेगवान
मुश्किलें प्रगतिशील पारस बन जाता है ।
क्रोध वो दैत्य है,
जिसमे इंसान धैर्य खो बैठता है,
पहले तो क्रोध में वो पगलाता है,
बाद में पछताता है।।
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