
‘घमंड’ और ‘पेट’
जब ये दोनों बढ़तें हैं…
तब ‘इन्सान’ चाह कर भी
किसी को गले नहीं लगा सकता..
जिस प्रकार नींबू के रस की एक बूंद
हजारों लीटर दूध को बर्बाद कर देती है
उसी प्रकार ‘मनुष्य’ का ‘अहंकार’
भी अच्छे से अच्छे संबंधों को बर्बाद कर देता है!
Ghamand Aur Pet
Jab Ye Dono Badhte Hain
Tab ” Insaan ” Chah Kar Bhi
Kisi Ko Gale Nahi Laga Sakta,
Jaise Nimbu Ke Rash Ki Ek Bund
Hazaron Litter Dudh Ko Kharab Kar Deti Hai
Waise He Manushya Ka Ahankar Bhi
Acche Se Acche Sambandho Ko Barbad Kar Deta Hai
अहंकार से संयम नहीं रह सकता।
अहंकार से त्याग किया जा सकता है।
त्याग में कर्तृत्व की ज़रूरत है,
त्याग में कर्ता की ज़रूरत है।

जीत किसके लिए, हार किसके लिए,
जिंदगी भर ये तकरार किसके लिए,
जो भी आया है, वो जायेगा एक दिन
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए!
खुद के अहंकार और बुद्धि का दखल खत्म हो जाए
तभी इंसान ‘खुद’ का कल्याण कर सकता है।

अहंकार एक ऐसी बुराई है,
जिसकी वजह से व्यक्ति को
अपनी गलतियां और दूसरों की
अच्छाईयां दिखाई नहीं देती
इस बुराई को जल्दी से जल्दी छोड़ देंगे तो
हालात बेहतर हो सकते हैं!

पूरी दुनिया जीत सकते हैं संस्कार से
और जीता हुआ भी हार सकते हैं,
अहंकार से
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