गरीबी थी जो सबको एक आंचल में सुला देती थी,
अब अमीरी आ गई तो सबको अलग मकान चाहिए…!!
Garibi Thi Jo Sabko Ek Anchal Main Sula Deti Thi,
Ab Amiri Aa Gai To Sabko Alag Alag Makan Chahiye..!!
मजबूरियॉं हावी हो जाएं
ये जरूरी तो नहीं,
थोड़े बहुत शौक तो
गरीबी भी रखती है
कटु सत्य
गरीब आदमी का
कोई मित्र या रिश्तेदार नहीं होता!
कभी एक दिन भूखा रहकर देख,
भूख क्या होती है, समझ आएगी,
एक दिन गरीब बनकर तो देख,
तुझे गरीबी में भी खुशियां नज़र आएगी।
वो गरीबी से हर रोज मरता रहा,
सर नगीने जड़ा ताज सजता रहा!
गरीबी की भी क्या खूब हँसी उड़ाई जाती है,
एक रोटी देकर 100 तस्वीर खिंजवाई जाती है!
जिस गरीब के घर में एक दिया ना जला हो,
एक अमीर का पटाखा अक्सर छप्पर जला जाता है!