चालान काटने का निश्चय कर के आये ट्रैफिक पुलिस वाले ने प्रिय नन्द जी को पकड़ लिया है।
 उनके बीच हुए सारगर्भित वार्तालाप के अंश :
सिपाही : बाइक आपकी है?
 नन्द जी : ससुराल से मिली।
 सिपाही : मतलब किस नाम से है?
 नन्द जी : हौंडा नाम की है।
 सिपाही : लाइसेंस है?
 नन्द जी : गाड़ी का?
 सिपाही : नहीं, आपका।
 नन्द जी : है न।
 सिपाही : तो दिखाओ।
 नन्द जी : घर चलो। दिखाता हूँ।
 सिपाही : साथ ले कर नहीं आते?
 नन्द जी : साथ तो थैला है खाली। तुम रख लो।
 सिपाही : बिना लाइसेंस बाइक चलाना गुनाह है।
 नन्द जी : लेकिन मेरे तो बना हुआ है न।
 सिपाही : पर साथ तो नहीं है न।
 नन्द जी : पहले तय करो कि गुनाह क्या है। लाइसेंस नहीं बनवाना या साथ नहीं रखना?
 सिपाही : साथ नहीं रखना गुनाह है।
 नन्द जी : मतलब, नहीं बनवाना गुनाह नहीं है।
 सिपाही : पैसे दो, मैं चालान दे रहा हूँ।
 नन्द जी : मुझे नहीं चाहिये चालान।
 सिपाही : मतलब?
 नन्द जी : मतलब ये कि मैं अभी सब्जी की दुकान पर गया, जहाँ लौंकी 20 रुपये की थी। मुझे नहीं चाहिए थी तो मैंने 20 रुपये नहीं दिये।
 सिपाही : अरे म्हारा बाप, जा परो रे।
 नन्द जी : नहीं, जैसे कल मैंने सब्जीवाले से लौंकी नहीं ली, लेकिन भिंडी ली थी। तुम्हारे पास चालान के अलावा और क्या क्या है? दिखाओ। क्या पता, मैं और कुछ ले लूं।😬😬😬😬
 सिपाही : अरे माफ कर दे भई। गलती हुई जो तुझे रोका।
 नन्द जी : ग़लती मत किया करो भाईसाहब। आपको पता नहीं, सड़क सुरक्षा सप्ताह चल रहा है। ग़लती करने पर चालान कट जाता है।🤓🤣😅😅
 
  
		 
		 
		 
		 
		