
फासला रख के भी क्या हासिल हुआ,
आज भी मैं उसका ही कहलाता हूँ!!
Faasla Rakh Ke Bhi Kya Hasil Hua,
Aaj Bhi Mein Uska He Kehlata Hun…

फासलों को ही जुदाई ना समझ लेना तुम,
हाथ थाम कर यहां लोग जुदा बैठे हैं!

दूरी बिल्कुल भी मायने नहीं रखती,
जब दो दिल एक दूसरे के लिए वफादार होते हैं!
ये दूरी हमसे अब और सही नहीं जाती,
बस तेरे पास आने को मेरा जी चाहता है,
तोड़कर सारी दुनिया की रस्मों-रिवाजों को,
तुझे अपना बनाने को जी चाहता है!

जबरदस्ती की नजदीकियों से,
सुकून की दूरियाँ ही अच्छी है!
तुझसे दूरी का एहसास सताने लगा,
तेरे साथ गुज़रा हर पल याद आने लगा
जब भी कोशिश की तुझे भूलने की,
तू और ज्यादा दिल के करीब आने लगा!
दूरियाँ भी जरूरी हैं कुछ रिश्तों में,
वरना! गुजरती है जिंदगी किश्तों में!
दूरियां बहुत है, मगर इतना समझ लो,
पास रह कर ही कोई ख़ास नहीं होता,
तुम इस कदर पास हो मेरे दिल के,
मुझे दूरियों का एहसास नहीं होता!
बिना बताये उसे जाने क्यों दूरी कर दी,
बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
मेरे मुकद्दर में गम आये तो क्या हुआ,
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी!
वो पल में बीते साल लिखूं या,
सदियों लम्बी रात लिखूं…
मैं तुमको अपने पास लिखूं…
या दूरी का एहसास लिखूं…
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