कुंबले ने छोड़ दिया फेंकना गुगली,
बहना तू भी छोड़ दे करना चुगली!

एक चुगलखोर इंसान हमेशा
मरी हुई विचारधाराएं ही जन्म देता है!
सच कहने का हुनर अब नहीं यहाँ,
ना सच के लिए कोई ठौर है,
यो तो चुगलियों का दौर है,
बस चुगलियों का दौर है!
इधर सुनकर उधर सुनाना,
यह हुनर मुझे नहीं था अपनाना,
ना जाने किसने हमारे बीच ये जहर घोली
जो सोच ना सकते थे
वो बात किसी ने आप से बोली!
क्या करना उस मित्र का, मुँह पर करता वाह,
पीछे से चुगली करे, रखता मन में डाह,
मुश्किल आई देखकर, खींचे झट से हाथ
रहे बनी के मित्र बस, करो न उनका साथ!
दूसरों से ज्यादा घुलना-मिलना
अब पसंद नहीं मुझे,
मुझे चुगलखोरों से दूर रहना
सुकून का एहसास दिलाना है!

जो चुग़ली करने वाले के कहने में आ जाता है,
वह दोस्तों को खो देता है,
दूसरों की चुगली करने में,
वक्त बर्बाद ना करें
आपका मनोरंजन तो होगा,
परंतु आत्मज्ञान नहीं होगा!
हमारे बारे में चुगली करने वाले बोल लेते हैं,
हमारे बारे में बातें मज़े लेने वाले सुन लेते हैं,
और हमारे जवाब नियती दे देती है…
चलो हम तो आराम से चाय पी लेते हैं!

जिन्दा लोगों की चुगलियाँ
और मरे लोगों की तारीफ,
क्या फितरत है दुनिया की!
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