मनुष्य पुण्य का फल सुख चाहता है,
पर पुण्य करना नहीं चाहता
और पाप का फल दुःख नहीं चाहता
पर पाप छोड़ना नहीं चाहता
इसीलिए सुख मिलता नहीं है और दुःख भोगना पड़ता है।
मनुष्य पुण्य का फल सुख चाहता है,
पर पुण्य करना नहीं चाहता
और पाप का फल दुःख नहीं चाहता
पर पाप छोड़ना नहीं चाहता
इसीलिए सुख मिलता नहीं है और दुःख भोगना पड़ता है।