दोस्ती निभाने को तो सभी दोस्त तैयार हैं,
पर सिर्फ तभी तक,
जब तक हम तो उनके किसी काम आते रहें,
मगर हमें उनसे कोई काम न पड़े!
Dosti Nibhane Ko To Sabhi Dost Tyar Hain,
Par Sirf Tabhi Tak,
Jab Tak Hum To Unke Kisi Kaam Aate Rahein,
Magar Humein Unse Koi Kaam Na Pade..!!
किस हद तक जाना है ये कौन जानता है,
किस मंजिल को पाना है ये कौन जानता है,
दोस्ती के दो पल जी भर के जी लो,
किस रोज बिछड़़ जाना है ये कौन जानता है!
दोस्ती, दोस्ती होती है,
इसमें अच्छे बुरे की बात नहीं होती,
दोस्ती एहसास है दिलों का,
इसमें सच-झूठ की कोई जगह नहीं होती।
नादान से दोस्ती कीजिए,
क्योंकि मुसीबत के वक्त
कोई भी समझदार साथ नहीं देता!
कभी झगड़ा, कभी मस्ती,
कभी आँसू, कभी हँसी,
छोटा सा पल, छोटी-छोटी खु़शी,
एक प्यार की कश्ती और ढेर सारी मस्ती,
बस इसी का नाम तो है दोस्ती…