चलो इस सर्दी में भलाई का काम करतें हैं।
जो लिबास हमारा काम कर चुके हैं।
वो लिबास अब गरीबों के नाम करते हैं।
Chalo is sardi me bhlaai ka kaam krte hai
Jo libaas hmara kaam kr chuke hain.
O libaas ab gareebon k naam karte hain.
इन ठंड हवाओं के बीच
रजाईयां तो निकाल ली हैं,
सोते मगर अब भी,
गीले खतों के बीच हैं !
इक रोज़ गरीबी को भी सीने से लगाना है,
सुना है
यह कंपकंपाते हुए सड़कों पर गर्म सी,
सोने की जगह ढूंढते ढूंढते सर्द रातें गुज़ारा करती है!!
Ek Roj Gareebi Ko Bhi Seene Se Lagana Hai,
Suna Hai…
Yah Kapkapate Huye Sadkon Par
Garm Si Sone Ki Jagah Dundte Dundte Sard
Raate Gujara Karti Hai!!
जाड़े की सर्द हवा क्या होती है,
जनाब वो तो उन बेघर लोगों से पूछो
जो सुबह की धुप की आश में गुजर जाया करते हैं!
ठंड इतनी पड़ रही है
कि…..
“अकड़” के बैठने वाले लोग भी
“सिकुड़” के बैठ रहे है!
मेरी ज़िन्दगी में तेरी याद भी उसी तरह है..
जैसे सर्दी की चाय में अदरक का स्वाद..☕
मेरे लिए, सर्द मौसम का मतलब
तुम्हारे जैकेट में मेरा छिप जाना ।
आज कल ठंड तो होती है,
लेकिन मौसम लापता है॥
मानो…
सर्द हवा की सरहद में,
सावन की पैमाईस हो….
टिक-टिक करती,उन लम्हों में,
एक आवाज़ की, फरमाईस हो…
ख़ुश्क सी-होती उन पलों में,
एक मुस्कान की आजमाईस हो…
चुप-चाप बैठी उस ‘कली’ को,
मानो,बस …..एक ‘किरन’ की ख्वाइश हो…..!!
जेब में परे थे कुछ ख़ुश्क लम्हें,
माँझी को बोल, कश्ती धीरे करवाया है….
समंदर की बाहों में बैठ,
आज अलाव जलाया है…!!
सर्द हवाओं ने कुछ ऐसा ठण्ड चलाया है…
इंसान छोड़ रिश्तों को भी ‘ठिठुराया’ है..!!!
तु चला के सर्द हवा मुझको मुंजमिद भी कर,
पिघल के फैलना चाहूं तो एक अलाव भी दे!!