रूपया पैसा कुछ ना चाहूँ..बोले मेरी राखी है!! Best Kavita on Rakhi Festival in Hindi, Sister to Brother Poems in Hindi on Raksha Bandhan, Bhai Behan Poem in Hindi
नहीं चाहिए मुझको हिस्सा माँ-बाबा की दौलत में,
चाहे वो कुछ भी लिख जाएँ भैया मेरे! वसीयत में!!
नहीं चाहिए मुझको झुमका चूड़ी पायल और कंगन,
नहीं चाहिए अपनेपन की कीमत पर बेगानापन!!
मुझको नश्वेर चीज़ों की दिल से कोई दरकार नहीं,
संबंधों की कीमत पर कोई सुविधा स्वीकार नहीं!!
माँ के सारे गहने-कपड़े तुम भाभी को दे देना,
बाबूजी का जो कुछ है सब ख़ुशी ख़ुशी तुम ले लेना!!
चाहे पूरे वर्ष कोई भी चिट्ठी-पत्री मत लिखना,
मेरे स्नेह-निमंत्रण का भी चाहे मोल नहीं करना!!
नहीं भेजना तोहफे मुझको चाहे तीज-त्योहारों पर,
पर थोडा-सा हक दे देना बाबुल के गलियारों पर!!
रूपया पैसा कुछ ना चाहूँ.. बोले मेरी राखी है,,
आशीर्वाद मिले मैके से मुझको इतना काफी है!!
तोड़े से भी ना टूटे जो ये ऐसा मन -बंधन है,
इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षाबंधन है!!
तुम भी इस कच्चे धागे का मान ज़रा-सा रख लेना,
कम से कम राखी के दिन बहना का रस्ता तक लेना!!
शायद वो सावन भी आए
जो पहला सा रंग न लाए
बहन पराए देश बसी हो
अगर वो तुम तक पहुँच न पाए
याद का दीपक जलाना
भैया मेरे, राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे, छोटी बहन को ना भुलाना
बहन
जो बाप की तरह डांटती है ।
माँ की तरह प्यार करती है ।
दोस्त की तरह हमेशा साथ निभाती हैं ।
और एक बहन ही हैं साहब ,,
जो अपने भाई के लिए
दुनिया से लड़ जाती है ।
बनाई नाव उसने तो खिवैया भी वो भेजेगा।
तेरी आशा का कलयुग में कन्हिया भी वो भेजेगा।
न हो मायूस मेरी बिटिया ,तू सुन ले बात ये मेरी …
सजाई उसने है राखी तो भइया भी वो भेजेगा।।