
भूख…..
रिश्तों को भी लगती है
प्यार कभी…
परोस कर तो देखिये…!!
BHOOKH…
Rishton Ko Bhi Lagti Hai
PYAR KABHI…
Parosh Kar To Dekhiye…!!
रिश्तों में फर्ज और हक एक दूसरे के पूरक है।
अलग -अलग रहे तो,
सिर्फ फर्ज निभाने वाला खुद टूटता है
जबकि हक जताने वाला दूसरों को ।
जिनकी राहों को आकार देता जा रहा हूँ मैं।
उन्हीं के नफरतों का भार ढोता जा रहा हूँ मैं।
जिन्होंने प्यार की बाजार में बोली लगा डाली,
उन्हीं को प्यार की सौगात देता जा रहा हूँ मैं।
दिमाग से रिश्ते रखने वाले,
दिल से रिश्ते रखने में बड़े कमज़ोर होते है।।
रिश्ते निभाने के लिए बुद्धि नहीं,
दिल की शुद्धि होनी चाहिये !
सत्य कहो, स्पष्ट कहो, सम्मुख कहो,
जो अपना हुआ तो समझेगा,
जो पराया हुआ तो छुटेगा !!
कहां गए वो रिश्ते नाते
क्यों लोगों की प्यार की बातें बदल गई है गाली में
दिल में जो प्यार का सागर था अब रह गया है प्याली में
रिश्ते के धागे को क्यों लोग बुन रहे हैं जाली मे
अच्छे व्यवहार धीरे धीरे बदल रहा है मवाली में
झूठे अपनापन और नाता है और सब झूठा दावा है
अंदर से हैं घात लगाए ऊपर से रिश्तो का दिखावा है
झूठे रिश्ते के धागे आज सभी के पास है
कोई रिश्ता किसी के लिए नहीं रह गया खास है
प्यार से बात नहीं कर करते डरने को हरदम तैयार है
बातों से किसी को घायल कर दे जुबान में इतनी धार है..✍️