भाई बहन का प्यार
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भाई तेरे कलाई की राखी जो तेरे साथ है,
भाई-बहन का रिश्ता पवित्र व विश्वासी है,
के कच्चे धागे का रिश्ता अनमोल जग में है,
जो भी है जैसी भी है बहना जो तेरे साथ है,
अरे, रक्षाबंधन अमर यह इतिहास में भी है,
हर एक भाई-बहन के चलती सांस में भी है,
के बादशाह हुमायूं को रखी कर्णावती भेजी,
के भाई बहन की ना जाति नहीं धर्म कोई है,
अरे, ख़ुदा से मांगे बहना लंबी उम्र भाई का,
के ख़ुदा के द्वारा मुझे मौक़ा नहीं दिया गया,
के इस रिश्ते की नींव बहनों की विश्वास है,
तुम्हें देख मैं ख़ुश हूं तेरी ख़ुशी जो तेरे पास है,
हर एक भाई-बहन के जोड़ी को सलाम है,
के राखी में बहनों की अटूट जो विश्वास है,
रक्षाबंधन भाई बहनों के लिए ख़ास है जग,
अरे, सुन ए ख़ुदा! राखी में ग़ज़ब विश्वास है,
बहनों की राखी का डोर न हुआ है कमज़ोर,
मुझे किसी बहन का भाई क्यों नहीं बना दिया,
के रिश्तों की अहमियत तू मुझे समझा दिया,
फ़िर सिर्फ़ देखने वाला, क्यों मुझे बना दिया,
सभी भाइयों को ‘हेहर’ का सिर्फ एक संदेश है,
कुछ करना ऐसा की बहना ताउम्र मुस्कुराती रहे।।
सब रिश्तों से ज्यादा पाक ये रिश्ता जहां का होता है,
बहन आंसु बहाए तो भाई भी छुपके रोता है।
पर दिखाता नहीं उसको आंसु क्यूंकि,
महफूज़ रखने वाला घर, उसको दर्द से दूर रखता है।
लोगों के लिए होगा सिर्फ एक धागा,
पर उसका बचपन का, सारा संसार आने वाला है।
कि फिर से अब राखी का त्यौहार आने वाला है।
उसके रूठ जाने पर भी जिसने हर दफा उसे मनाया है
उसकी गलती का इल्ज़ाम खुद ले के डांट से उसे बचाया है।
उसको जिसने हर एक बुरी नजर से बचाया है,
वहीं उसका ताबीज़ बना वहीं उसका साया है।
उसका वो भाई, उसका साथी, उसका अटूट प्यार आने वाला है,
कि फिर से अब राखी का त्यौहार आने वाला है।
संग जिसके लड़ती थी जो छोटी छोटी बातों पे,
कभी तोहफ़े के लिए तो कभी दी,
हुई सौगातों पे,
आज लड़ाई नहीं होती पर बातें भी कहां होती है।
अक्सर रातों में इंतजार में एक बहन कहां सोती है।
पर खिल उठी है वो कि अब जाकर,
उसका सुख दुख का यार आने वाला है।
कि फिर से अब राखी का त्यौहार आने वाला है।
थी वो इंतज़ार में महिनों से,
काफी रातों से, काफी दिनों से।
सोचा किया करती थी अक्सर,
क्या जी पायेगी अपना बचपन फिर एक बार,
क्या सुन पायेगी अपनी नादानियों के किस्से दो-चार।
जिस बेसब्री से थी इंतजार में वो एहसास जाने वाला है।
कि फिर से अब राखी का त्यौहार आने वाला है।