बिना समझ के भी, हम कितने सच्चे थे,
वो भी क्या दिन थे, जब हम बच्चे थे।
Bina Samjh Ke Bhi, Hum Kitne Sacche They,
Wo Bhi kya Din They, Jab Hum Bacche They,
कोई तो रूबरू करवाए बेखौफ बीते हुए बचपन से..
मेरा फिर से बेवजह मुस्कुराने का मन है..!!
Koi To Rubaru Karwaye
Bekhauf Beete Huye Bachpan Se…
Mera Phir Se Bewajah Muskurane Ka Man Hai
दिल अब भी बचपना है
बचपन वाले सपने
अब भी ज़िंदा हैं!
बचपन से बुढ़ापे का बस इतना सा सफ़र रहा है
तब हवा खाके ज़िंदा था अब दवा खाके ज़िंदा हूँ।।
टूटे ना गुल्लख़ जो उस वक़्त साथ था…!!
सिक्के के खनक से लगता हर रिश्ता पास था,
यादो को समेटे उस मिट्टी के गुल्लख में,
कैद यादो का ठेरो इतिहास था…!!
टूटा गुल्लख़ बिखरी यादे,
बचपन अब उस कफ़ज से आजाद था,
गुल्लख़ वाला जमाना अब दिल में बैठा उदास था…!!
ईमान बेचकर बेईमानी खरीद ली
बचपन बेचकर जवानी खरीद ली
न वक़्त, न खुशी, न सुकून
सोचता हूँ ये कैसी जिन्दगानी खरीद ली!
नन्हीं-नन्हीं यादों सा था बचपन…
न जाने कब बढ़ा हो गया
ab na chupaya jata is dard ko
Jo har raat yaad dilaya jata hai
Bikhare gaye vo khwaab jo
Bachpan se Dekhaya jata hai
😔😔😔
बचपन समझदार हो गया,
मैं ढूंढता हू खुद को गलियों मे।।
Sama aisa tha wo jise aaj tak na bhoola pae,
Ai yaaro bachpan ke wo sapne
aaj bhi akhiyon me hain timtimae…