मसरूफ थे सब
अपनी जिन्दगी की उलझनों में
जरा सी जमीन क्या हिली
सब को खुदा याद आ गया!!
Masroof They Sab…
Apni Zindagi Ki Uljhano Main,
Jara Si Zameen Kya Hili…
Sab Ko Khuda Yaad Aa Gaya..!!
जरा सी… कुदरत ने करवट क्या ली
वो करोड़ों का बंगला छोड़
जमी की पनाह में आ गए!
लगता है धरती को भी आसमां से इश्क हुआ है
इश्क अक्सर रूह को हिला देता है…
धरती का दुख, तूफान है मेरा दर्द,
सैलाब है मेरे अश्क, भूकंप है मेरी तड़प
कहती है धरती सिसक सिसक!
भूकंप आना भी जरूरी होता है,
जिंदगी में तभी पता चलता है
कौन हाथ पकड़ता है और
कौन साथ छोड़ता है!