अनुभव वक्त के संदुक में संचित वह खजाना है,
जो भविष्य में काम आता है!
Anubhav Waqt Ke Sandook Mein,
Sanchit Wah Khajana Hai,
Jo Bhavishya Mein Kaam Aata Hai!
फासला भी जरूरी था…..
चिराग रोशन करते वक्त,
ये तजुर्बा हासिल हुआ….
हाथ जल जाने के बाद…!!
अनुभवों की पुनरावृति, प्रायः
मनुष्य के व्यक्तित्व के
विकास का दायरा
संकुचित कर देती है..
छोटी मुलाकातें
ज़्यादा उम्रदराज़ होतीं हैं
जैसे,
छोटी कविताएं
ज़्यादा अनुभवी होतीं हैं..
#अनुभव की भट्टी में #तप कर जो जलते है,
#दुनिया के बाजार में वही #सिक्के चलते है।
धूप में सीक कर रंग संवारना है तुम्हें,
माथे के पसीने को पोछना बाकी है,
अभी जिंदगी के पन्ने पलटने शुरू किए हैं,
अपने अनुभवों को समेटना बाकी है।