
आंखों मे आ जाते है आंसू
फिर भी लबो पे हंसी रखनी पड़ती है
ये मोहब्बत भी क्या चीज है यारों
जिस से करते है उसीसे छुपानी पड़ती है!!
Ankhon Main Aa Jate Hai Aansu
Phir Bhi Labon Pe Hasi Rakhni Padti Hai
Ye Mohabbat Bhi Kya Chiz Hai… Yaroon
Jis Se Karte Hai Ushi Se Chupani Padti Hai…!!
अंजान है यह आँखें नींदों से, बेबसी आंसुओं की है
गलतियाँ दिल करे और भरपाई रातें कर रही है।
तुझे भूल गया में अब तू याद नहीं आती
पहले की तरह आसुओं की बरसात नहीं आती
मेरी मुहब्बत का कैसा मज़ाक़ बना दिया तूने ….
बोल तेरे किए पर क्या तुझे शर्म नही आती
दर्द को अपने कैसे रोके हम…..
आसुंओं से निकल जाते हैं सारे गम
कभी कभी हँसी आती है मुझे
कैसे इतना मुस्कान बिखेर जाता हूँ
दिल हर पल रोता है
फिर भी कैसे छिपा जाता हूँ
भीड़ में भी तन्हा है मेरी जिंदगी
बस आंसुओ से है मेरी सच्ची बन्दगी…
किसे सुनाऊँ मेरे गम की ये बातें !
किसे बताऊँ मेरे कत्ल की ये रातें !!
वे तो बदल गये बारिश के मौसम से!
हमें दे गये वे आंसुओं की ये बरसातें!!
इश्क़ की महफ़िल में जो हो रहा उसे होने दो !
दिलो में नफ़रत के बीज बोना है तो बोने दो !!
तुम मुझसे बिछड़ के शायद चैन से जी लो !
पर आज तो मुझे कोई जी भर के रोने दो !!
एक सहारा चाहिए था मुझे कभी पर अब नहीं !
मेरे इन आँसुओ का बोझ मुझे अकेले ढोने दो !!
ख़ुदा कसम बड़ा सुकून मिलेगा मौत से हारने में !
इसलिए अब मुझे अपनी चैन की नींद सोने दो !!
तरस गए हैं नैन मोहन के तुम्हारी एक नज़र को !
बस एक दफ़ा हमें अपनी आँखो में खोने दो !!
होता है अपनी आँख का आंसु भी बेवफा..
वो भी निकलता है तो किसी और के लिए