
आँख दुनिया की हर एक चीज देखती है
पर जब आँख के अंदर कुछ चला जाता है
तो उसे आँख नही देख पाती!
ऐसे ही इंसान दूसरे की गलती तो
देख लेता है पर खुद की गलती
उसे नजर नहीं आती!
Ankh Duniya Ki Har Ek Chij Dekhti Hai
Par Jab Ankh Ke Ander Kuch Chala Jata Hai
To Use Ankh Nahi Dekh Pati,
Aise He Insaan Dusron Ki Galti To
Dekh Leta Hai Par Khud Ki Galti Use
Nazar Nahi Aati…
होती है गलतियाँ हर एक से मगर
कुछ जानते नहीं कुछ मानते नहीं!
समझदार इंसान हमेशा अपनी
गलतियां स्वीकार करता है,
अपनी गलतीयों को सुधारता है
और उसे कभी दोहराता नहीं!
भूल होना प्रकृति है,
मान लेना संस्कृति है,
सुधार लेना प्रगति है!
भूल करके इंसान सीखता तो है,
पर इसका ये मतलब नहीं की,
वह जीवनभर भूल करता ही जाए,
और कहे की हम सीख रहे हैं